गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर हिंदी विभाग में डॉ. शशि कला जायसवाल के निर्देशन में शोध कार्य कर रही शोध- छात्रा अनुराधा (SRF) का शोध कार्य पूर्ण होने पर, पीएच.डी. प्री-सबमिशन- सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार में शोध छात्रा अनुराधा ने "अखिलेश के कथा साहित्य में समकालीन सामाजिक यथार्थ" विषय पर आधारित अपने शोध ग्रंथ की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि -- अखिलेश का कथाकार रूप भारतीय समाज एवं उपभोक्तावादी संस्कृति के बीच अनसुलझे गुत्थियों को सरलीकृत करने का सशक्त माध्यम है। भू-मंडलीकरण के पश्चात् दुनिया को ग्लोबल विलेज यानि वैश्विक गाँव के रूप में पहचान मिली है। अखिलेश अपनी रचनाओं प्रमुखतः कथा साहित्य के माध्यम से भारतीय जनजीवन की शापग्रस्त मनःस्थिति का बेबाकी से चित्रण करते हैं। बाजार एवं बाजारीकरण के जंजाल में उलझा हुआ मनुष्य तय नहीं कर पा रहा है कि उसकी अपनी आवश्यकताएँ कितनी हैं बल्कि बाजार तय कर रहा है कि मनुष्य को क्या-क्या चाहिए। उनकी ‘घालमेल’, ‘जलडमरूमध्य’, ‘शृंखला’ आदि कहानियाँ भी अंधानुकरण की प्रवृत्ति को बयाँ करती हैं। बात भारत की सामाजिकता एवं सांस्कृतिक व्यवहार की हो अथवा आधुनिकता-उत्तर आधुनिकता के माध्यम से उत्पन्न विसंगतियों का; अखिलेश की कलम उतान होकर चलती है। अखिलेश गँवई समाज और उस समाज की विसंगतियों का ऐसा कोलाॅज तैयार करते हैं कि पूरा कथा साहित्य इंद्रधनुषी दिखने लगता है।


शोध निर्देशिका डॉक्टर शशि कला जायसवाल ने कहा कि साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका तद्भव के संपादक कथाकार अखिलेश के  साहित्य पर शोध कार्य की संख्या नगण्य है। ऐसी स्थिति में कथाकार अखिलेश के कथा सृजन को विषय बनाना एक चुनौती पूर्ण एवं परिश्रम साध्य कार्य था। शोध छात्र ने इस गुरूतर कार्य को बहुत ही परिश्रम एवं लगन से पूर्ण किया है निश्चित ही वह बधाई की पात्र है।

सेमिनार की अध्यक्षता कर रही प्राचार्य प्रो. सविता भारद्वाज ने शोध कार्य की प्रासंगिकता पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा शोधार्थी और शोध निर्देशिका को बधाई दी। महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शिवकुमार ने बताया कि कार्यक्रम में डॉ निरंजन यादव डॉ संगीता, एवं महाविद्यालय के अधिकांश गणमान्य आचार्य तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर की छात्राएं उपस्थित रहीं।