विभागीय जांच के दौरान दंडित किए गए 141 पुलिस कर्मियों में 107 पुलिस कर्मियों ने एडिशनल सीपी से दंडात्मक सजा को निरस्त करने की अपील की थी। इसे एडिशनल सीपी ने खारिज कर दिया है।


अपील करने वालों में सात इंस्पेक्टर, 55 सब इंस्पेक्टर, 17 हेड कांस्टेबल व 28 कांस्टेबल शामिल थे।


Kanpur News: कानपुर में काम के प्रति लापरवाही, घूसखोरी, धोखाधड़ी, छेड़खानी समेत अन्य आरोपों में फंसे 107 पुलिसकर्मियों की सजा माफी की अपील एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय ने खारिज कर दी है। विभागीय जांच में दोषी पाए गए सात इंस्पेक्टर, 55 दरोगा समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने दंडात्मक सजा को निरस्त करने की अपील की थी।

लापरवाही, घूसखोरी, धोखाधड़ी, दुष्कर्म, नशेबाजी जैसे मामलों में फंसे 141 पुलिसकर्मी विभागीय जांच में दोषी पाए गए थे। जांच अधिकारियों (राजपत्रित अधिकारी) की रिपोर्ट के बाद डीसीपी मुख्यालय ने उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हुए सर्विस बुक (उद्धरण चरित्र पंजिका) में बैड एंट्री व अर्थदंड से दंडित किया था।


दंडात्मक कार्रवाई के चलते इनकी प्रोन्नति और वेतनवृद्धि तीन से पांच साल तक के लिए रुक गई है। पुलिस नियमावली के अनुसार विभागीय कार्रवाई के अंतर्गत आरोपी पुलिस कर्मी को बचाव का एक अवसर दिया जाता है। इसमें आरोपी पुलिसकर्मी अपना पक्ष रखते हैं।

ऐसे में विभागीय जांच के दौरान दंडित किए गए 141 पुलिस कर्मियों में 107 पुलिस कर्मियों ने एडिशनल सीपी से दंडात्मक सजा को निरस्त करने की अपील की थी। इसे एडिशनल सीपी ने खारिज कर दिया है। अपील करने वालों में सात इंस्पेक्टर, 55 सब इंस्पेक्टर, 17 हेड कांस्टेबल व 28 कांस्टेबल शामिल थे।

सूत्रों के अनुसार एडिशनल सीपी के यहां सजा को निरस्त करने की अपील करने वालों में प्रमोशन के लिए पुलिस मुख्यालय में तैनात लिपिक की मदद से सर्विस बुक से पन्ने गायब कराने वाले कांस्टेबल अश्वनी बाथम और महिला कांस्टेबल प्रतिमा राजपूत भी थीं। इनकी अपील भी खारिज की गई है।

वहीं अखिल कुमार, पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरोपों के आधार पर ही राजपत्रित अधिकारियों से विभागीय जांच कराई गई थी। जांच में दोषी जाए जाने पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है। ऐसे में दोषी पाए गए पुलिस कर्मियों की याचिका खारिज कर दी गई है।