गाज़ीपुर। भारत की अनेकता में एकता का सूत्रधार हिन्दी हमारे संस्कृति और संस्कार को प्रदर्शित करती है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सीधी, सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी पूरे हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है। वैश्विक स्तर पर हिन्दी विश्व के अनेकों देशों में वार्तालाप में प्रयोग हो रही है।

       उक्त वक्तव्य वैश्विक हिन्दी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विजयानंद ने पी.जी.कालेज मलिकपूरा में आयोजित  'हिन्दी का वैश्विक स्वरूप' विषयक गोष्ठी में व्यक्त किया।

      प्राचार्य प्रोफेसर दिवाकर सिंह की अध्यक्षता में सोमवार की शाम आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. विजयानंद ने राष्ट्रीय एवम अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिंदी की स्थिति पर व्यापक चर्चा की। हिंदी भाषा का प्रसार अब विश्वव्यापी हो चुका है और इसके प्रसारित करने में हिंदी साहित्यकारों की लेखनी और हिंदी फिल्मों की खास भूमिका रही है। आज हिंदी साहित्य व फिल्मों को विश्व के कई भाषाओं में डव किया गया है। हिंदी साहित्य व फिल्मों के जरिए कई देश के लोग हिंदू संस्कृत से जुड़े हैं।

हिन्दी की लोकप्रियता का अंदाजा तो इसी बात से होता है कि आज पूरे विश्व में बोली जाने वाली  भाषाओं में हिन्दी तीसरे स्थान पर प्रतिष्ठित है। 

     हिन्दी की उपयोगिता को देखते हुए 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता और हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में चुनने का निर्णय लिया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राष्ट्र की भाषा के तौर पर मान्य किया। यह निर्णय 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही प्रभावी हो गया। 

       वरिष्ठ पत्रकार डॉ.ए.के. राय ने हिन्दी के प्रचार प्रसार में हिन्दी पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डाला। कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी समाचार पत्रों ने बढ चढ़ कर भागीदारी निभाई और जनमानस को हिन्दी के प्रति जागरूक किया।

        प्राचार्य प्रोफेसर दिवाकर सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिन्दी की उपादेयता पर चर्चा करते हुए कहा कि आज विभिन्न देशों के लोग हिन्दी के प्रति आकर्षित होकर हिन्दी सीख रहे हैं। आज हिन्दी की वैश्विक पहचान बन चुकी है। इनमें हिन्दी फिल्मों का भी योगदान रहा है।उन्होंने हिन्दी भाषा व साहित्य की सेवा में लगे साहित्यकारों और हिन्दी के प्रति जागरूक व समर्पित लोगों से सीख लेने की सीख दी।


        इससे पूर्व महाविद्यालय परिवार की तरफ से वरिष्ठ प्रोफेसर (डॉ.) चंद्रभान सिंह ने मुख्य  अतिथि को पुष्प-गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ दिनेश सिंह,डॉ. प्रिंस कसौधन, डॉ अभिषेक कुमार, अभिषेक कुमार सिंह, दीपक कुमार यादव, चंदन यादव, श्रीमती अंजली यादव, डॉ कुंजलता, चंदन कुमार, शमशुल कमर, निसार अहमद,  शैलेंद्र प्रताप सिंह, डॉ अजय चौहान, श्रीमती सुमन सिंह सहित छात्र -छात्राएं  मौजूद रहीं। 

        विषय परिचय प्रवक्ता वासुदेवन मणि त्रिपाठी, संचालन डॉ. सर्वेश पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिव प्रताप यादव ने किया।