मुख्तार का रसूख और जलवा जेल में भी खूब चलती थी. वह जो चाहते थे, वही खाते थे. यूं तो मुख्तार अंसारी की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं, जिन्हें लोग सुनते सुनाते आए हैं. लेकिन मुख्तार को खाने का शौक किस कदर था, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है.


पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) अब इस दुनिया में नहीं है. गुरुवार को यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्हे बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक हो जाने से उनकी मौत हो गई. मुख्तार पिछले 19 साल से जेल में बंद थे. यही वजह थी कि वो जेल के खाने से अक्सर परेशान रहते थे. आलम यह था कि उसने एमपी-एमएलए कोर्ट में वर्चुअल पेशी के दौरान खाने को लेकर स्पेशल सेशन जज के सामने गुहार तक लगाई थी. उस वक्त मुख्तार ने जज से कहा था कि उसे खाने पीने का सामान, फल और कुरकुरे भिजवा दीजिये. 

खाने का शौक

लेकिन मुख्तार अंसारी पहले कभी इतना लाचार और बेबस नहीं था. मुख्तार का रसूख और दबंगई जेल में भी खूब चलती थी. वह जो चाहते थे, वही खाते थे. यूं तो मुख्तार अंसारी की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं, जिन्हें लोग सुनते सुनाते आए हैं. लेकिन मुख्तार को खाने का शौक किस कदर था, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है.

जेल ही थी पनाहगाह

सच तो यह है कि कभी उत्तर प्रदेश की जेलें ही मुख्तार अंसारी के लिए पनाहगाह हुआ करती थीं. जहां से मुख्तार अपने तमाम कारनामों का ताना-बाना बुनता था. जहां जेल की चहारदीवारी उसकी मनमौजी में कभी बाधा नहीं बनी. हालात बिल्कुल अलग थे. नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णनंद राय की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, उस वक्त मुख्तार अंसारी यूपी की फतेहगढ़ जेल में बंद थे.