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वैसे तो हर राज्य से स्कूलों में बच्चों के साथ मारपीट की खबरें आती रही हैं। बच्चों को टॉर्चर करने में प्राइवेट स्कूल पीछे नहीं हैं। फीस के लिए धूप में बैठाने, बच्चों से मारपीट करने और एग्जाम नहीं देने के किस्से इंटरनेट पर भरे पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील में चोरी और टॉयलेट साफ कराने की शिकायतों से हर राज्य का शिक्षा विभाग चिंतित है। शारीरिक उत्पीड़न की घटना भी पैरेंटस की नींद उड़ाने के लिए काफी है। कर्नाटक के स्कूलों में स्टूडेंट्स के कपड़े उतरवाने के कई मामले पहले भी चुके हैं। दो महीने पहले ही कलबुर्गी के एक स्कूल में छात्र के साथ मारपीट की गई थी। आंबेडकर पूजा नहीं करने के कारण उसे नंगा कर हॉस्टल में घुमाया गया था। मांड्या के सरकारी स्कूल में 100 रुपये की तलाशी के लिए 12 छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए थे। यह मामला पांच साल पुराना है। करीब एक साल पहले मांड्या जिले के गणनगुरु गांव के सरकारी स्कूल में मोबाइल लेकर आई छात्रा को प्रिंसिपल ने सहपाठियों के सामने बेरहमी से पीटा था और कपड़े उतरवाकर घंटों बैठाए रखा था। प्रिंसिपल इतनी कठोर थी कि उसने बच्ची को घंटों पानी तक नहीं पीने दिया था।
अब चोरी के इल्जाम में कर्नाटक के बागलकोट में 14 साल की बच्ची ने फांसी लगा ली। वह स्कूल में हुए अपने अपमान से दुखी थी। जिस स्कूल में वह शान से पढ़ती थी, वहां के टीचरों ने ही उसके सपने छीन लिए। बच्ची पर स्कूल में 2 हजार रुपये चोरी का इल्जाम लगा दिया। उससे दुर्गा मंदिर में कसम खिलाई गई। इससे भी जी नहीं भरा तो कपड़े उतारकर तलाशी ली गई। रुपये तो नहीं मिले मगर लोगों के बीच निर्वस्त्र होते ही बच्ची के मन क्षुब्ध हो गया। यह कैसी अनहोनी थी, जिंदगी में हौसला का पाठ सिखाने वाले टीचरों ने जीने की उम्मीद छीन ली। चोरी के आरोप और निर्वस्त्र होने पर जगहंसाई सदमा इस कदर लगा कि उसने घर में आत्महत्या कर ली।