जखनियाँ/ गाजीपुर। गाजीपुर जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जखनियाँ में कुत्ता काटने के बाद लगने वाले  इंजेक्शन के बारे में लगावाने के लिए मरीज के परिजन द्वारा पूछते ही भड़क गए डॉ योगेन्द्र यादव कहा कुत्ते का इंजेक्शन हमारे घर नहीं बनता है। इसके लिए डीएम से बात करिए मिलेगी तो लगेगा "रोज सबके कुत्ता बिलार काटी त कहाँ से लगी, ना ह सुई"।

 अब सोचने की बात यह है कि सरकार जहाँ बार- बार यह कहती है की पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार न करें शालीनता से पेश आते हुए, मानवीय सम्बंध बनाये रखें। यहा ऐसे जिम्मेदार चिकित्साधिकारी से कोई क्या उमीद करें कि यह किस तरह इलाज करते होंगे। जब कि इलाज कराने वालों के लिए डॉ भगवान होते हैं। जबकि इस पूरे अस्पताल में दुर्व्यवस्था और गन्दगी का अंबार लगा रहता है। इतनी भीषण गर्मी में इस अस्पताल में न शुद्धय पेयजल की व्यवस्था हैं, यहां के शौचालय को इस्तेमाल तो करना दूर पाँव रखना भी मुश्किल है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को सुलभ शौचालय जखनियाँ तहसील के पास 200 मीटर दूर जाना पड़ता है। और दवा खाने के लिए बॉटल का पानी बाहर से लाना पड़ता है। मामला यहाँ तक भी सीमित रहे तो ठीक है। यहाँ आने वाले मरीजों को डिलेवरी से लेकर एमरजेंसी, ओपीडी आदि में इलाज के दौरान बाहर से कीमती दवाएं लिखी जाती है, और मजबूरी में अनमोल जीवन के लिए ज्यादातर लोग  बाहर से दवाएं खरीदने को मजबूर होते हैं। जिसकी खास वजह लोग बताते हैं कि विभागीय उच्चाधिकारियों से लेकर राजनीति में डॉ. योगेन्द्र यादव की अच्छी पकड़ है। जिसकी वजह से जो भी इनके अस्पताल या इनकी शिकायत करता है। उसे यह अस्पताल से डॉट कर भगा देते हैं। यदि भाग जाए तो ठीक है नहीं तो यदि इनकी नजर में गरीब फटा-पुराना कपड़े वाला व्यक्ति रहता है तो धक्का देकर भी बाहर निकल देते हैं। जिनकी दोबारा हिम्मत नहीं होती है कि वह इस सरकारी अस्पताल में आ कर इलाज करा सके। जो मजबूरन सरकारी अस्पताल के बजाय इनके शरण में आस-पास चल रहे प्राइवेट अस्पताल में अपनी कीमती सामान गहना, खेत,पशु आदि बेच कर इलाज कराना उचित समझता है। लोग शिकायत कर के भी मजबूर हैं, वहीं कुच्छ लोग तो यह भी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं कि सरकारी अस्पताल हैं और सरकारी सिस्टम में कौन जाएगा, फालतू का झंझट पालने जब कि आये दिन यहाँ 100 से ज्यादा मरीज किसी न किसी बीमारी का इलाज कराने आते हैं। लेकिन जन सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकने को मजबूर रहते हैं, कोई करे भी तो क्या किससे शिकायत करे हर किसी के समझ से बाहर है।

 वहीं पीड़ित मरीज द्वारा इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी महोदय के नम्बर पर फोन करके अवगत कराने पर यह कहा गया कि इसके लिए सीएमओ साहब का नम्बर नोट करिए और उस पर बात करिए। जब सीएमओं साहब को पूरी बात से अवगत कराया गया तो उन्होंने कहा कि बात कर जानकारी बताते हैं जिसके बाद वापिस आनन-फानन में डॉ०योगेन्द्र यादव नें शिकायत कर्ता को अपने चेम्बर में बुलाकर डांट- फटकार लगाया और कहा कि डीएम से शिकायत कर क्या उखाड़ लेंगे। सीएम तक कुच्छ नहीं बिगाड़ पायेगें। वहीं हर जगह गुहार लगाने के बावजूद मायूस होकर शिकायतकर्ता अपने घर वापिस जाने में हीं भलाई समझा, वहीं देखना यह है कि सीएम साहब भी इनका कुच्छ करते हैं या नहीं ।