गाजीपुर 


आज के प्रतियोगी 

आज के चकाचऊँध से हम सभी प्रेरित हैं l

 दिखावा और बड़े बोलेपन से ग्रसित हैं!

 मां बाप के स्थान को सोशल मीडिया ने ले लिया,

 किसी को एहसास नहीं की बूढ़ी आंखों को आपने क्या दिया!

 जो पीढ़ी बड़े प्यार से पूछती थी बाबूजी आपने खाना खाया?

 मां से कहती मां आज क्या है बनाया?

 उसी पीढ़ी को बदले में आज के बच्चों ने फरमान सुनाया है,

 मेरा वीजा दूसरे देश से आया है!

 अब मुझे जाना होगा, पैसे को कमान होगा l 

 तभी तो हालात सुधरेंगे, हमें भी पूंजीपति चुनेंगे l 

 कोई संदेह नहीं कि हमने विकास किया है

 लेकिन सही मायने में अपनों को निराश किया है I 

 मेरा करजोड़ आग्रह है इतना भी क्या है मजबूर होना कि अपने ही कहीं खो जाएं जिसने हमें यह दुनिया दिखाई है उसे ही कह देना कि.......

 अभी वक्त नहीं है बाद में बात करते हैं.....

 क्या पता बात रह जाए और बात सुनने वाले गुजर जाएं......