सपा के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने बाबा साहेब के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर लोगों को सम्बोधित की
गाजीपुर के जमानियां स्थानीय ब्लाक क्षेत्र में रविवार को भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। बाबा साहब की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाकर उनके आदर्शों को याद किया गया तथा लोगों ने बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। ब्लाक क्षेत्र में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में लोगों ने जमकर बाबा साहेब अमर रहे तथा जय भीम के गगनचुंबी नारे लगाए और ‘जय भीम’ गाने पर युवा खूब थिरके। वहीं सुरक्षा को लेकर हर चौक-चौराहों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। शोभा यात्रा ग्राम बैरनपुर में डॉ अम्बेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुरूआत हुआ तथा देवरिया, हरपुर, तहसील मुख्यालय, बडेसर होते हुए ग्राम बरुइन स्थित डॉ अम्बेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभा में बदल गई तथा मेला का भी आयोजन किया गया। जहाँ बच्चों झूला, जंपिंग, नाव की सवारी सहित खाने पीने के व्यंजनों का लाभ उठाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ बुद्ध वंदना व संविधान की प्रस्तावना पढ़कर किया गया तत्पश्चयात मुख्य अतिथि व आमंत्रित अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व विधायक ओमप्रकाश सिंह के प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने कहा कि बाबा साहेब एक व्यक्ति नहीं विचार थे। वे एक राजनीतिज्ञ, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक होने के साथ ही अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़े। इन्होंने अछूतों के समर्थन में एक अभियान का नेतृत्व किया। डॉ अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक केंद्रीय भूमिका भी निभाई थी। जो देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के साथ ही लोगों को आजादी व समाज को एक नई पहचान मिली। वह स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। उन्होंने बताया था कि शिक्षा ही वह मजबूत हथियार है जिससे हम विकास की नींव तैयार कर सकते है। इसलिए हमें अपने बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लेना होगा तभी हमारा समाज बेहतर हो सकता है। उक्त मौके पर सपा विधानसभा अध्यक्ष अनिल यादव, शिक्षक बनारसी राम, पूर्व प्रधान विजय यादव, प्रधान धर्मेन्द्र कुशवाहा, अशोक सिंह, रजनीकांत यादव, अनिल यादव, कृष्णमुरारी राम, नवीन राम, विनय राम, जयप्रकाश यादव, पप्पू प्रधान, रामू राम, अजीत राम आदि मौजूद रहे। संचालन डॉ बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ गाजीपुरी ने किया।