परिजनों का आरोप इलाज के दौरान युवक की गला दबाकर मौत के घाट उतारा गया
गाजीपुर के ज़मानियां कोतवाली क्षेत्र के मदनपुरा गांव में चल रहे कथित पागलखाना (सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल) में इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में मंगलवार को उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार, डिप्टी सीएमओ मुंशीलाल, कोतवाली पुलिस एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डा, रवि रंजन मौके पर पहुंचकर जांच में जुटे। वही जहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस चस्पा की गई और 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया। ज्ञात हो कि इस अस्पताल में 6 मरीज विक्की कुमार(21) निवासी ग्राम पट्टी‚ कैमूर बिहार‚ मोहम्मद इकराम खां (20) निवासी मिर्चा‚ दिलदारनगर गाजीपुर‚ श्याम सुन्दर राम (20) निवासी ग्राम सुक्रवलीया‚ बक्सर बिहार‚ रमेश कुमार (18) निवासी महेवा‚ मुगलसराय‚ निकुंज कुमार राय(36) निवासी ताजपुर मांझा‚ जमानिया‚ गाजीपुर‚ ईश्वर राम (33) निवासी गरूआमकसूदपुर‚ जमानियां को इलाज के लिए भर्ती किया गया। जिनके पैरों में जंजीर बंधी हुई थी। और जेलनुमा कमरे में बंद किया गया था। भर्ती मरीजों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने वार्ता की और सभी मरीज मानसिक रूप से स्वस्थ पाए गए। इन मरीजों की एक मोटे डंडे से समय समय पर पिटाई की जाती है। मंगलवार को अस्पताल पर पहुंचे उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार्‚ अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मुंशीलाल‚ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ रविरंजन‚ प्रभारी निरीक्षक श्याम जी यादव ने मौका मुआयना किया। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल पर नोटिस चस्पा की गई और 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया। जवाब न देने की स्थिति में सुसंगत धाराओं में मुकदमा किए जाने की बात कही गई। जांच में पहुंचे अधिकारियों को छ में से से पांच मरीज मिले और एक एक कर सभी को उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया। शाम चार बजे तक सभी मरीजों को उनके परिवार के लोगों के सुपुर्द कर दिया गया था। जिसके बाद सभी अधिकारी वापस लौट गए। इस अवसर पर जिला प्रशासनिक अधिकारी प्रेम चन्द्र चौहान‚ प्रधान सहायक प्रमोद कुमार‚ कनिष्ठ सहायक दीपक श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे। बताया जाता है। की जमानियां क्षेत्र के करजही गांव स्थित निजी मानसिक रोग अस्पताल सहारा में इलाज कराए आए। विकास कुमार की मौत होने की सूचना पर उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार सीएमओ कार्यालय से डिप्टी सीएमओ मुंशीलाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डा, रवि रंजन द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान चिकित्सालय योग्यता यू पी मेडिकल काउंसिल का पंजीकृत प्रमाण पत्र एवं कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी का पंजीकृत प्रमाण पत्र अधोहसताक्षरी कार्यालय में एक दिन अंदर प्राप्त कराना सुनिश्चित किया जाए। इस दौरान अधिकारियों ने कहा कि समय के अंदर जमा नही किया जाता है। तो अस्पताल व चिकित्सक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 419 व 420 तथा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 (३) के साथ जालसाजी युक्त अभिलेखों के लिए आईपीसी की धारा ,468 व 471 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराने हेतु पुलिस अधीक्षक को सूचित कर दिया जाएगा। कर्मी चंदन पाठक को एक नोटिस दी गई। जिसमें भर्ती मानसिक मरीजों को उनके परिजनों को तत्काल सूचना देकर सौंपा जाए। इसके बाद अस्पताल कर्मी से कागजात मांगी गई। तो कागजात दिखाने में अपने को असमर्थ बताया। उसने उपस्थित अधिकारियों को बताया कि अस्पताल की जो भी कागजात है। जेल भेजे गए डाक्टर के पास है। जिसके बाद मौके पर पहुंचे अधिकारी वापस लौटने समय कहा कि विभागीय स्तर पर एक मुकदमा पंजीकृत कराया जायेगा। बताया जाता है। की वाराणसी से एनजीओ द्वारा मिले प्रमाण पत्र के माध्यम से 15 साल से इकलौते निजी मानसिक रोग अस्पताल सहारा चल रहा है। मरीजों के अभिभावकों से जबरिया धन उगाही भी किए जाने की बराबर शिकायत मिलता रहा। लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही नही की गई। दुर्गावती बिहार ग्राम खमीदौरा जिला भभुआ निवासी विकास कुमार पुत्र परमहंस राम उम्र 23 वर्ष अपने इलाज के लिए क्षेत्र के करजही गांव स्थित मानसिक रोग अस्पताल सहारा में भर्ती के लिए आया था। लेकिन परिजनों का आरोप लगाया की पैरों में हंथकड़ी लगाने के लिए सुनील पाठक अपने हांथ के केहुनी से गर्दन पर जोर से दबाया था। जिसके कारण दम घुटने से विकास की मौत हुई। और विरोध जताने पर गाली गलौज देकर भागने लगे। जिसके बाद पुलिस को फोन करके बुलवाया गया। जिसके बाद परिजन कोतवाली पहुंचकर घटना के बारे में लिखित तहरीर दी। जिसपर कोतवाली पुलिस अस्पताल के डाक्टर विजय नारायण पाठक और इनका लड़का सुनील कुमार पाठक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा। इस बाबत उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि अस्पताल के पास कोई कागजात नही मिला।