गाजीपुर। भारत सरकार के मंशा के अनुरूप नौ राज्यों में क्षय उन्मूलन के लिए गठित टास्क फोर्स के अध्यक्ष और केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ सूर्यकांत के बड़े- बड़े दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉट सेंटर पर टीबी के मरीजों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अनवरत चालू है, पर दवाओं के लिए आने वाले नये या पुराने मरीजों को साफ बताया जाता है कि टीवी की कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के जिम्मेदार कर्मचारियों और डॉक्टर साहब भी यही कहते हैं की दवा कम उपलब्ध है एक हफ्ते में उपलब्ध हो जाएगी।जिला टीवी सेंटर गाजीपुर के नंबर पर संपर्क करने पर जवाब मिलता है कि हमारे यहां दवा नहीं आती है, और फोन काट दिया जाता है।
जिले के आला अधिकारी भी बातचीत करने पर सीधे यही कहते हैं कि पूरे प्रदेश में टीबी की दवाएं उपलब्ध नहीं है ऑर्डर दिया जा चुका है पर दवा मिल नहीं पा रही है, थोड़ी बहुत दवा आई थी जो कि खत्म हो गई। पूछने पर कि मरीज जिनकी दवाई खत्म हो गई है वह क्या करें जवाब मिलता है कि जब तक दवाई नहीं आएगी हम कुछ नहीं कर सकते हैं। सरकार के बड़े-बड़े वादों और दावों के बावजूद दवायें नहीं मिलने के कारण टीवी के मरीज या तो बाहर से दवाई खरीद कर अपना इलाज करायें या मरें। जबकि सरकारें कई कार्यक्रम जैसे कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान एवं राज्य क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम चला रही हैं यह धरातल पर कितना कारगर होंगे जब सरकार टीवी की दवाएं ही उपलब्ध नहीं कर पा रही है। गलती किसकी है कमी कहां है? क्या सरकारों के पास पैसे नहीं हैं ? या मैन्युफैक्चरर्स नहीं है जो टीबी की दवाई उपलब्ध करा सके। जब मीडिया प्रतिनिधि ने टीबी रोग प्रभारी से बात किया तो उन्होंने बताया कि आज ही दवा उपलब्ध हुई है और उसको मरीज मे वितरित कराई जाएगी।