गाजीपुर। ज़मानिया मोहल्ला लोदीपुर स्थित सत्यम इंटर नेशनल स्कूल मे सरस्वती प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रवजलत कर मदर डे कार्यक्रम को हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। बताया जाता है। की पुरी दुनिया मदर्स डे सेलीब्रेट करती है। दिन खासतौर से सभी माताओं को समर्पित है। वैसे तो माताओं के प्रति प्यार और सम्मान हर पल ही मन में होता है। लेकिन इस एक दिन उसे जताकर माताओं को खास महसूस कराये जाने का चलन है। मोहल्ला लोदीपुर स्थित सत्यम इंटर नेशनल स्कूल परिसर मे शनिवार को मदर डे आयोजित कार्यक्रम मे बच्चों साहित उनके अभिभावक गण शामिल हुए। बच्चों के पढ़ाई को लेकर अभिभावकों के बिच चर्चाएं की गयी।सत्यम इंटर नेशनल स्कूल मे बच्चों की दी जा रही शिक्षा दीक्षा के बारे मे अभिभावकों से संवाद किया गया। बताया जाता है। इस दिन मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर उनके अथाह प्यार और स्नेह के लिए धन्यवाद दिया जाता है। जितना खास है यह दिन, उतनी ही रोचक है। इस दिन को मनाने की शुरुआत भी। अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की अलग-अलग कहानी है। मदर डे के अवसर पर प्रधानाचार्य एल डी जेना ने कहा की सभी माताओं और उनके मातृत्व को सम्मान देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है। साथ इस दिन बच्चों के अभिभावकों से पढ़ाई को लेकर चर्चा भी की जाती है। तथा अभिभावकों द्वारा सुझाव भी लिया जाता है। इसके साथ ही स्कूल प्रवंधक सत्य प्रकाश मौर्य ने बताया की मदर डे मां के प्रति सम्मान यानी मां की पूजा का रिवाज है। उन्होंने कहा जाता है कि  देवताओं से पहले मां का सम्मान दिन मनाया जाता है। सत्य प्रकाश मौर्य ने बताया की मदर डे त्योहार की तरह मनाने की प्रथा है। मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं है। महिलाओं या माताओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का संपूर्ण दायित्व मिलना चाहिए।इस दौरान अभिभावकों को गेम  खिलाया गया। जैसे आँख को बंद कर नाक से सूंघने के बाद किसी की खुशबु है। बताना, और आँख बंद कर लडकी के पोस्टर पर माथे पर बिंदी लगाना, कम समय मे सुई में धागा डालना,बाल् फेककर बोतल गिराना, टारगेट गेम, कम समय मे पानी पूरी बनाना, चम्मच पर नींबू रखना आदि मियूजिकल चेयर आदि गेम खिलाया गया। और प्रथम द्वितीय आने पर स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्य द्वारा सम्मानित किया गया। उक्त मौके पर रवि कुमार, उषा यादव, सविना, ज्योति यादव, अंकिया, राफिया रहमान, रबीना रहमान, जैनब खान, दरख्शा सिद्दीकी आदि शिक्षक व शिक्षिकाए मौजूद रहे।