गाजीपुर। महर्षि विश्वामित्र राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित मोर्चरी हाउस में फ्रीजरों की स्थिति खराब है। यहां अधिकतर फ्रीजरों के गेट खराब है। फ्रीजर का गेट खुले रहने से शव से खून टपक जमीन पर फैल जाता है। शव से उठने वाली दुर्गंध से लोगों को परेशानी होती है। तीखी धूप और गर्मी के मौसम में शवों को सुरक्षित रखने के लिए मोर्चरी हाउस में छह फ्रीजर लगाई गई थी। इसमें विभिन्न थाना क्षेत्रों में सड़क हादसा, ट्रेन दुर्घटना सहित अन्य किसी स्थिति में मृत लोगों के शवों को सुरक्षित रखा जाता है। जबकि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि फ्रीजर जस के तस खराब पड़े हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक एक दिन के बाद शवों की स्थिति काफी खराब हो जा रही है। दुर्गंध से मोर्चरी हाउस खराब पड़े फ्रीजर से गिर रहा खून, मरम्मत कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति में पांच मिनट भी कर्मचारियों का खड़ा होना मुश्किल है। यहीं नहीं अब तो कम ही शवों को कीट बैग में पैक करके लाया जा रहा है। कर्मियों ने बताया कि जिस थाने पर कीट बैग बचा है, वहीं से शव कीट बैग में रखकर आ पा रहा है। जबकि अधिकांश जगहों से आने वाले शव प्लास्टिक में पैक करके आ रहे हैं। यहीं नहीं फ्रीजर का गेट खराब होने से शव जहां दिखाई पड़ता है, वहीं शव से गिर रहे खून से स्थिति और भी खराब हो जाती है। वहीं फ्रीजर की मरम्मत के नाम पर आने वाले इंजीनियर सिर्फ कोरमपूर्ति करके चले जाते हैं। जबकि मेडिकल प्रशासन की माने तो शव रखने के बाद फ्रीजर के गेट को इस कदर बंद किया जाता है, जिससे वह टूट गया है।
फ्रीजर से गिर रहा खून मरम्मत करने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
गाजीपुर। महर्षि विश्वामित्र राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित मोर्चरी हाउस में फ्रीजरों की स्थिति खराब है। यहां अधिकतर फ्रीजरों के गेट खराब है। फ्रीजर का गेट खुले रहने से शव से खून टपक जमीन पर फैल जाता है। शव से उठने वाली दुर्गंध से लोगों को परेशानी होती है। तीखी धूप और गर्मी के मौसम में शवों को सुरक्षित रखने के लिए मोर्चरी हाउस में छह फ्रीजर लगाई गई थी। इसमें विभिन्न थाना क्षेत्रों में सड़क हादसा, ट्रेन दुर्घटना सहित अन्य किसी स्थिति में मृत लोगों के शवों को सुरक्षित रखा जाता है। जबकि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि फ्रीजर जस के तस खराब पड़े हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक एक दिन के बाद शवों की स्थिति काफी खराब हो जा रही है। दुर्गंध से मोर्चरी हाउस खराब पड़े फ्रीजर से गिर रहा खून, मरम्मत कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति में पांच मिनट भी कर्मचारियों का खड़ा होना मुश्किल है। यहीं नहीं अब तो कम ही शवों को कीट बैग में पैक करके लाया जा रहा है। कर्मियों ने बताया कि जिस थाने पर कीट बैग बचा है, वहीं से शव कीट बैग में रखकर आ पा रहा है। जबकि अधिकांश जगहों से आने वाले शव प्लास्टिक में पैक करके आ रहे हैं। यहीं नहीं फ्रीजर का गेट खराब होने से शव जहां दिखाई पड़ता है, वहीं शव से गिर रहे खून से स्थिति और भी खराब हो जाती है। वहीं फ्रीजर की मरम्मत के नाम पर आने वाले इंजीनियर सिर्फ कोरमपूर्ति करके चले जाते हैं। जबकि मेडिकल प्रशासन की माने तो शव रखने के बाद फ्रीजर के गेट को इस कदर बंद किया जाता है, जिससे वह टूट गया है।