गाज़ीपुर। आज हम सभी को मिलकर के इस पर विचार विमर्श करना चाहिए कि आखिर क्यों समाज से संस्कार में कमी आ रही है वृद्ध आश्रम में बढ़ती जा रही वृद्ध जनों की संख्या चिंता का विषय बना हुआ है जब मां-बाप को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है तो परिवार बहुत ही खुश होता है लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि आगे चलकर हमारे साथ क्या होने वाला है आए दिन देखने को मिल रहा है कि बेटा अपनी मां और बाप की सेवा करना तो दूर उससे दूरी बनाने लग रहा है जिस वजह से मां-बाप को तरह-तरह की समस्या झेलनी पड़ रही है ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने के बाद यह समझ आने लगा है कि पारिवारिक कलह व शहन शक्ति कम होने की की वजह से यह समस्या आ रही है। आर्थिक तंगी बीच का कारण हो सकता है यह सभी वर्गों में देखने को मिल रहा है की बेटा बाहर काम करता है और घर पर माता-पिता अकेले जीवन यापन करते हैं तब तक सब कुछ ठीक रहता है जब तक उन हाथों में बाल होता है जैसे ही शक्ति छीन होने लगती है वैसे ही सभी लोग साथ छोड़ना शुरू कर देते हैं यह समाज के लिए चिंता का विषय है ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम हम लोग पश्चिमी सभ्यता का शिकार हो जाएंगे। बगल के ही रूम में मां करती रह जाती है और बेटा को आवाज भी सुनाई नहीं देती यह उसी का असर है या कहे तो स्वार्थ।