गाजीपुर। थाना सदर कोतवाली के अन्तर्गत राजकुमार चौरसिया उर्फ चिरकुट पुत्र स्व: डोमन चौरसिया विगत कई वर्षों से महुआबाग अफीम फैक्ट्री एवं मुख्य डाकघर के पास दिन में ठेला लगाकर रात में उसी ठेले पर सोकर अपना जीवन यापन करते थे। राजकुमार को ठेला लगाये हुए। दौरान धूप (लू) लगने से तबियत खराब हो गई थी। जो दुर्गा साईं मन्दिर के सामने मेन रोड पर ठेला खड़ा करके मैदान में नीम के पेड़ के नीचे सो गए थे। जिनकी दोपहर में ही मृत्यु हो गई थी। वहाँ से गुजर रहे लोगों को लगा कि धूप तेज है। इसलिए ये व्यक्ति ठेला खड़ा करके नीम के पेड़ के नीचे आराम कर रहा है। जब देर रात्रि {10:30} बजे पास-पडोस के लोगों द्वारा पास जाकर राजकुमार के शरीर को हिला डुलाकर देखा गया। तो राजकुमार की मृत्यु हो चुकी थी। जिसकी सूचना कुँवर वीरेन्द्र सिंह को मोहल्ला नवापुरा निवासी विजय यादव जी द्वारा दी गई। कुँवर वीरेन्द्र सिंह द्वारा तुरन्त मौके पर पहुँचकर इसकी सूचना गोराबाजार चौकी पर कार्यरत सत्यप्रकाश यादव को दिया गया। तत्काल घटना स्थल पर कांस्टेबल उमेश यादव एवं कांस्टेबल विकाश तिवारी पहुँच गए। मृतक राजकुमार और उनकी पत्नी एक दूसरे से अलग रहते है। किसी तरह मृतक राजकुमार की पत्नी का पता लगाकर पत्नी को फोन द्वारा सूचना दिया गया। जो मौके पर आई भी नही और अपना फोन बन्द कर दी। तब मृतक राजकुमार के शव को कांस्टेबल उमेश यादव, कांस्टेबल विकाश तिवारी, विजय यादव एवं जितेन्द्र के सहयोग से मृतक राजकुमार के शव को एम्बुलेंस से सदर अस्पताल ले जाया गया। इमरजेंसी में डॉ. आर.एम. पाठक द्वारा राजकुमार की चेकअप करके मृतक घोषित कर दिया गया। मृतक राजकुमार के शव की इमरजेंसी से मेमो {सूचना} बनवाकर  मृतक राजकुमार के शव को मर्चरी रूम में रखवाकर मेमो {सूचना} सदर कोतवाली में जमा करके मृतक राजकुमार के परिजनों का पता लगाया जा रहा था। मृतक राजकुमार के पुत्र प्रदीप को फोन से राजकुमार की मृत्यु की सूचना दिया गया। प्रदीप उस टाईम सूरत में था। चार दिन बाद मृतक राजकुमार का पुत्र प्रदीप जनपद गाजीपुर आकर।

कुँवर वीरेन्द्र सिंह से सम्पर्क किया। कुँवर वीरेन्द्र सिंह मृतक राजकुमार के पुत्र प्रदीप को लेकर थाना कोतवाली गए। प्रभारी निरीक्षक दीनदयाल पाण्डेय, कांस्टेबल  विकाश तिवारी, उमेश यादव, सत्यप्रकाश यादव एवं धीरेंद्र कुमार के सहयोग से मृतक राजकुमार के शव का पंचनामा कराकर मृतक राजकुमार के पुत्र प्रदीप से और कुँवर वीरेन्द्र सिंह से सुपुर्दगी नामा लिखवाकर मृतक राजकुमार के शव को उनके पुत्र प्रदीप को दाह संस्कार के लिए सौप दिया गया है। मृतक राजकुमार के पुत्र प्रदीप के अनुरोध पर कुँवर वीरेन्द्र सिंह द्वारा मृतक राजकुमार के शव को अति प्राचीन श्मशानघाट ले जाकर अन्तिम दाह संस्कार कराया गया है।