गाजीपुर। गाजीपुर के अमौरा गांव के रहने वाले जनार्दन सिंह ने रबी और खरीफ की पारंपरिक फसलों को छोड़कर कैश क्रॉप के तौर पर ड्रैगन फ्रूट उगाने का फैसला लिया है। उन्होंने हैदराबाद से करीब 1200 पौधे मंगवा कर अपने खेतों में लगाए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस साल जुलाई में फसल तैयार होने के बाद उन्हें ड्रैगन फ्रूट बेचकर मोटी कमाई होगी। मीडिया से बातचीत में सिंह ने बताया कि उन्होंने हैदराबाद से ड्रैगन फ्रूट के 1200 पौधे मंगवाए थे। पौधों को लगाने के लिए उन्होंने खरीद दो एकड़ के प्लॉट में 300 पोल भी लगवाए। एक पोल पर ड्रैगन फ्रूट के करीब 4 पौधे एक साथ आरोपित किए जाते हैं। हर पल पर 3 से 5 किलो ड्रैगन फ्रूट की पैदावार अनुमानित तौर पर होती है। सिंह ने यह भी बताया कि उन्हें हैदराबाद से ड्रैगन फ्रूट की नर्सरी मंगवाने के लिए हर पौधे पर 85 से 86 रुपए खर्च करने पड़े। लगाने के 1 साल बाद ड्रैगन फ्रूट की हार्वेस्टिंग (पैदावार) होती है। इस साल 15 जुलाई के बाद जनार्दन सिंह के खेत में लगे ड्रैगन फ्रूट तैयार हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि तैयार फलों को बेचने के लिए उन्हें वाराणसी के पहाड़िया मंडी जाना होगा। उन्होंने फलों के थोक व्यापारियों से इस बाबत बात कर रखी है। जनार्दन सिंह ने बताया कि एक पोल पर लगे चार ड्रैगन के पौधों में से 3 से 5 किलो पैदावार होती है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार अपने खेतों में 1000 किलो ड्रैगन फ्रूट हो पाएंगे। सिंह के अनुसार पहाड़िया मंडी में उन्हें प्रति किलो 150 रुपए की कीमत मिलेगी। सिंह ने आगे बताया कि ड्रैगन फ्रूट का मेडिसिनल वैल्यू भी है। वह सीधे फल को बेचने के अलावा अपने निजी स्तर पर पहल कर ड्रैगन फ्रूट की जैम और जेली तैयार करना चाहते हैं। ड्रैगन फ्रूट ऐसे लोगों के लिए वरदान है जिनको प्लेटलेट काउंट की कमी बताई जाती है। ड्रैगन फ्रूट अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए भी लाभप्रद बताया जाता है।