गाजीपुर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी जिलाध्यक्ष कवि हरीशंकर पाण्डेय के आवास खालिसपुर में आयोजित की गई। गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी सरस्वती वन्दना से किया। उसके बाद कोषाध्यक्ष सलोनी उपाध्याय ने अपनी कविता “हे राष्ट्रभक्त तेरा स्वर्णिम, इतिहास सदा ही अमर रहे। से प्रशंसा अर्जित की। इसके बाद कामेश्वर नाथ द्विवेदी ने अपनी रचना “जहां राणा शिवा सा अनेक हैं स्वनाम धन्य, उस भव्य भूमि को, अनेकश: प्रणाम है। इसके बाद अमर नाथ तिवारी ने अपनी कविता “जाऊं विदेश तो किस देश, बहुत सोचा दिमाग दौड़ाया। अंत में अपना देश ही भाया। से खूब तालियां बटोरी। इसके बाद दिनेश चन्द्र शर्मा ने “अर्चना के लिए एक सुमन चाहिए, वन्दना के लिए, एक नमन चाहिए। जैसी ओज पूर्ण कविता सुनाई और वाहवाही बटोरी। इसके बाद विजय कुमार मधुरेश ने अपनी कविता करिश्मा है प्रजातंत्र का, बिन पढ़े बन गए मंत्री। पीठ पर लादकर डिग्रियां, हम गधे के गधे रह गए, से सभी को मोहित किया। इसके बाद इस कार्यक्रम के संयोजक हरीशंकर पाण्डेय ने अपनी कविता “मेरा दर्द बेरहम है, बस चन्द देर रहता। कहना बहुत मैं चाहूं, लेकिन मैं मौन रहता। से सभा को मंत्रमुग्ध किया। इस मौके पर सतीश सिंह, नन्द किशोर सिंह, कृष्णानंद पाण्डेय, बृजेश कांत पाण्डेय, विजय कुमार पाण्डेय, संजय सिंह आदि मौजूद रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदेव पाण्डेय और संचालन विजय कुमार मधुरेश ने किया। गोष्ठी के अन्त में अध्यक्ष रामदेव पाण्डेय और हरीशंकर पाण्डेय ने सबका आभार व्यक्त किया।