गाजीपुर। FALSA के फ्लाई-ऐश ईट प्लांट सहेड़ी में राज-मिस्त्री सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डा. विजेन्द्र प्रताप सिंह ने फ्लाई-ऐश ईट के गुणवत्ता, उपयोगिता और उससे भवन और पर्यावरण को होने वाले लाभ के बारे में बताया।इस अवसर पर उनके प्रश्नों का समुचित समाधान लैब मशीनों द्वारा गुणवत्ता परिक्षण करके किया गया। पीएम मोदी के आत्‍मनिर्भर मंत्र व पर्यावरण को बचाने और विकास को गति देने के उद्देश्‍य से जर्मनी की जेनिथ और अहमदाबाद के अपोलो बहुराष्‍ट्रीय कंपनी के सहयोग से सहेड़ी में फ्लाई ऐश कंक्रीट ईंट FALSA निर्माण इकाई स्‍थापित किया है। डा. विजेन्द्र प्रताप सिंह ने दावा किया है कि यह फ्लाई ऐश कंक्रीट ईंट पर्यावरण को बचाते हुए प्रदूषण को समाप्‍त करेगा और इसकी मजबूती लाल ईंट से कई गुना ज्‍यादे होगी। उन्‍होने बताया कि सरकार और जिला प्रशासन के सलाह पर पावर प्‍लांट से निकले राख, और कंक्रीट और सीमेंट के मिक्‍स्चर से एमडीएल फाल्‍सा ईंट का निर्माण शुरु हो गया है। उन्‍होने बताया कि लाल ईंट के निर्माण में कोयले से निकले हुए धुएं और जमीन के कटान के चलते प्रदूषण और पर्यावरण को काफी क्षति हो रही है। इसको बचाने के लिए और पावर प्‍लांट से निकले राख को उपयोग में लाने के लिए केंद्र सरकार ने वैज्ञानिकों के सलाह पर इस तरह की ईंट निर्माण इकाई लगाने के लिए सहयोग कर रही है। फ्लाई ऐश कंक्रीट ईंट के निर्माण के मानक के अनुरुप निर्माण के लिए जर्मनी की बहुराष्‍ट्रीय कंपनी जेनिथ और अपोलो के सहयोग से सहेड़ी में प्‍लांट स्‍थापित किया गया है। इस प्‍लांट में भारत सरकार के निर्धारित मानक के अनुसार ईंट का निर्माण होता है। जिसकी प्रमाणिकता आईआईटी बीएचयू के लैब में होगा। MDL FALSA ईंट की गुणवत्‍ता को स्‍वयं साधने के लिए अपना खुद प्रयोगशाला स्‍थापित कर रही है। उन्‍होने कहा कि फ्लाई ऐश कंक्रीट ईंट में नमी नही पकड़ सकता है, न ही क्षरण होगा। यह पूरी तरह से दीमक प्रूफ होता है। इसमे सीलन नही लगता है। इसकी जोड़ाई में सीमेंट और बालू की 40 प्रतिशत की बचत होती है। 10×10 फीट की दिवाल बनाने में लाल ईंट की तुलना में फ्लाई ऐश कंक्रीट ईंट 125 से 150 ईंटे कम लगेंगी। इसकी कीमत अव्‍वल लाल ईंट के बराबर ही रहेगा। उन्‍होने बताया कि एमडीएल फालसा र्इंट का गाजीपुर जनपद सहित पूरे पूर्वांचल में भवन निर्माण के लिए प्रयोग बहुत तेजी से हो रहा है। इस अवसर पर सुधीर राय, योगेश यादव, रामगहन आदि ऊपस्थित रहे।