गाजीपुर (खानपुर)। रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व पर धूमधाम से मनाया। गुरु वंदना से पहले लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद अपने गुरु के श्री चरणों में मत्था टेकते हुए आशीष लिया। बताया जाता है कि इसी दिन चारों वेद व महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म भी हुआ था। इस कारण आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। भारतीय संस्कृत में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। वहीं नायकडीह स्थित वैष्णव स्थल बाबा कीनाराम मठ पर गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बाबा विनय दास महाराज के शिष्यों ने वैदिक मंत्रोचारण के साथ गुरु की आराधना की।
गुरु वंदना से पूर्व शिष्यों ने गंगा में लगायी आस्था की डूबकी
गाजीपुर (खानपुर)। रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व पर धूमधाम से मनाया। गुरु वंदना से पहले लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद अपने गुरु के श्री चरणों में मत्था टेकते हुए आशीष लिया। बताया जाता है कि इसी दिन चारों वेद व महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म भी हुआ था। इस कारण आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। भारतीय संस्कृत में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। वहीं नायकडीह स्थित वैष्णव स्थल बाबा कीनाराम मठ पर गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बाबा विनय दास महाराज के शिष्यों ने वैदिक मंत्रोचारण के साथ गुरु की आराधना की।