गाजीपुर । 1 जुलाई 1933 को जन्मे परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की 92 वीं जयंती पर संघ प्रमुख मोहन भागवत गाजीपुर आए थे, लगभग 9:30 बजे परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के पैतृक गांव धामपुर जो गाजीपुर के जखनियां तहसील के अंतर्गत पड़ता है वहां वे शहीद पार्क में पहुंचे, और वहां स्थापित परमवीर चक्र अब्दुल हमीद और उनकी पत्नी रसूल और बीवी की प्रतिमा पर उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित किया, मोहन भागवत ने इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन किया जिसमें एक मशहूर फिल्म लेखक रामचंद्रन श्रीनिवासन द्वारा लिखित "मेरे पापा परमवीर" पुस्तक का विमोचन किया और दूसरी कैप्टन मकसूद गाजीपुरी द्वारा लिखित पुस्तक "भारत के मुसलमान" का भी विमोचन किया। मंच से संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं यहां आया तो लिखा देखा कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशान होगा। वास्तव में जो अपनी मिट्टी पर शहीद होते हैं वे लोग अमर हो जाते हैं, उनका बलिदान महान होता है। उन्होंने कहा जानवर और इंसान में फर्क होता है इंसान दूसरों के लिए जीता है जबकि जानवर अपने लिए जीता है। भागवत जी ने भारत के मुसलमान पुस्तक का भी विमोचन किया और कहा कि परमवीर अबदुल हमीद देश के लिए जिए और देश के लिए ही कछ की रण में शहीद हो गए, मनुष्य में बलिदान की भावना उसे महान बनाती है। हाथी साइकल चलाए तो ये विकास नहीं, हाथी सूढ़ में उठाकर अपने बच्चे को बचाए तो ये विकास है।इस अवसर पर मोहन भागवत लगभग एक घंटे से ज्यादा रहे और वीर अब्दुल हमीद के परिजनों से भी मिले। वीर अब्दुल हमीद के बड़े बेटे जो सेना से रिटायर हैं उन्होंने कहा कि पिता जी की 1 जुलाई को जयंती होती है उसके लिए मैं भागवत जी से मिला था, उन्होंने आने के लिए कहा तो मैने श्रीनिवासन जी से एक पुस्तक लिखवाई थी "मेरे पापा परमवीर" तो उसके विमोचन के लिए वो यहां आए, इसी पुस्तक पर मैं एक फिल्म भी बनवाने जा रहा हूं जो मेरे पिता जी वीर अब्दुल हमीद साहब के जीवन पर आधारित होगी, और एक डेढ़ साल में वो फिल्म बन कर रिलीज हो जाएगी