जमानियां कस्बा में शान्ति पूर्ण ढंग से निकाला मोहर्रम का दुलदूल जुलूस, नौहा मातम में या अली मौला की सदा से गूंजा
गाजीपुर के जमानियां नगर पालिका परिषद के कस्बा बाजार में मोहर्रम के छ्ठवी तारीख की रात्रि दुलदुल का जुलूस निकला। इस दौरान अंजुमन के लोगों ने जगह जगह नोहाखानी(मर्सिया) पेश किया। बताया जाता है। की इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम के पर्व पर चांद का दीदार होने के बाद 1, 3. 5. को अखाड़ा जुलूस निकाले जाते है। और छठवीं तारीख की रात्रि समय दुलदुल का जुलूस निकलता है। साथ ही 7 तारीख की रात्रि अलम शद्दा के साथ करबला के मैदान पहुंचता है। कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले हजरत इमाम हुसैन की याद में नगर सहित मुस्लिम ग्रामीण इलाको में मोहर्रम जुलूस बड़े ही अकीदत के साथ निकाला जाता है। इस दौरान या अली मौला की सदा से नगर कस्बा सहित मुस्लिम ग्रामीण क्षेत्रों में गूंज उठता है। जुलूस में शामिल अजादारो ने नौहा मातम कर करबला में शहीद इमाम हुसैन को खिराजे अकीदत पेश करते है। जुलूस में अलम मुबारक, ताबूत और दुलदूल घोड़ा लेकर चल रहे थे। नगर कस्बा चौधरी मोहल्ला के अंजुमन सुल्तानिया के नौजवानों ने बाजार के सभी स्थानों पर रुक रुक कर मर्सिया नौहा पेश किया। जिसके बाद करबला मैदान पहुंच कर समापन हुआ। स्वर्गीय नेहाल शेख मंसूरी के निवासी स्थान मोहल्ला चौधरी के इमाम चौक पर अंजुमनों द्वारा नौहा मातम करने के बाद करबला की वाक्या पेश किया गया। इस दौरान उपस्थित पुरुष महिलाओं की आंखे नम हुई।तकरीर किया गया। बता दें कि हर वर्ष की इस वर्ष भी छठवीं मोहर्रम पर स्वर्गीय नेहाल शेख मंसूरी के परिवार के लोग अंजुमन में शामिल सभी नौजवानों को शर्बत के साथ चाय पिलाने की व्यवस्था कराया। मोहर्रम का जुलूस देखने के लिए नगर कस्बा सहित मुस्लिम ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो की काफी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान थाना कोतवाली प्रभारी निरीक्षक के द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से भारी फोर्स लगाई गई थी। मोहर्रम का जुलूस अखाड़ा अकीदत के साथ निकाला गया। इस दौरान या अली मौला की सदाए नगर कस्बा सहित मुस्लिम ग्रामीण क्षेत्र गूंज उठा। जुलूस में शामिल अजादारो ने नौहा मातम कर करबला में शहीद इमाम हुसैन को खिराजे अकीदत पेश किया। जुलूस में अलम मुबारक, ताबूत और दुलदूल घोड़ा लेकर चल रहे थे। इस दौरान ढोल ताशा बजाते हुए लोग चल रहे थे। उक्त मौके पर अंजुमन सुल्तानिया के सरपरस्त दानिश मंसूरी, शाहिद जमाल मंसूरी, अफजाल मंसूरी, मेराज मंसूरी, ताबिश मंसूरी, साजिद मंसूरी, राजन मंसूरी, फिरोज मंसूरी, परवेज आलम, महफूज आलम सद्दाम राईन, राजू राईन आदि के साथ सैकड़ों अंजुमन सुल्तानिया के नौजवान के साथ हयात खान वारसी, प्रिंस, माहिर कमाल, मौलाना तनवीर रजा सिद्दीकी, मोहम्मद असलम पान वाले, खालिद कुरैशी, अजहर अकील, एम कमालुद्दीन अंसारी, वकील राईन, इस्माइल राईन, कलाम राईन, असलम मंसूरी आदि सहित सैकड़ों लोग शामिल रहे। मोहर्रम पर्व को लेकर शांति एकता कमेटी वारसी के सरपरस्त समाज सेवी नेसार अहमद खान वारसी ने बताया कि जमानियां कस्बा की अखाड़ा जुलूस लगभग 70.80 साल पुरानी है। मोहर्रम जुलूस में हमारे हिंदू भाई बढ़चढ़ कर अपने भागीदारी को बखूबी निभाते रहे। लेकिन हालात जैसे जैसे बदलती गई। लोगों ने दूरियां बढ़ा लिया। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे हिंदू भाइयों का भरपूर सहयोग मिलता रहता है। जिसके चलते गंगा जमुनी तहजीब को कायम बना हुआ है। खान ने कहा कि आज जमानियां की मिल्लत दूर दूर तक चर्चाओं में है। इस दौरान नूरी मस्जिद के इमाम असरफ करीम कादरी ने कर्बला की वाक्या को पेश किया। तो हजारों लोगों की आखें नम हुई। सभी लोगों ने दास्तान को सुनकर रोने लगे।