गाजीपुर। जमानियां के स्थानीय थाना कोतवाली परिसर में नए कानून के संबंध में एक गोष्ठी का आयोजन उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार की अध्यक्षता में किया गया। आयोजित गोष्ठी में आम जनमानस को बताया गया की सोमवार 1 जुलाई से नए कानून लागू हुआ। इस दौरान महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाना सुनिश्चित है। उक्त जानकारी उपजिलाधिकारी ने दी। उन्होंने बताया जाता है। की देशभर में दिन सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून लागू हुआ। जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव हुआ, और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हुआ। अनूप कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया। सिंह ने नए कानून के बारे में विस्तार से बताया कि नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित किया गया। जिसमें जीरो एफ आई आर पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराया जा सकता है। तथा एसएमएस' (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे। उपस्थित लोगों को नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए। सिंह ने बताया कि अब होंगी 358 धाराएं, भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं। लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 हुई। इन धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया तथा उन्हें सरलीकृत किया गया है। जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी। उन्होंने गोष्ठी में उपस्थित जनसमूह को बताया कि जीरो एफआईआर से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। चाहे अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा। कोतवाली प्रभारी श्याम जी यादव ने बताया कि नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आ जायेगा। और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय कर लिए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। उन्होंने बताया कि नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। और सभी की तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों को खरीदना, बेचना जघन्य अपराध इसके लिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है। और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। यादव ने यह भी बताया कि शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं। ये तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं। उक्त आयोजित गोष्ठी में पुलिस चौकी स्टेशन इंजार्च बालेंद्र यादव, उपनिरीक्षक सुरेश मौर्य, संदीप कुमार, सिपाही शाहिद, सिपाही सोनू आदि के साथ चंदन तिवारी, गिरधारी सिंह, अनिल यादव, मुन्ना गुप्ता, दाऊ बाबा, संजीत यादव, अनिल कुमार गुप्ता उर्फ खिचड़ू, संजय जयसवाल, पंकज निगम, वीरेंद्र कुमार, आकाश यादव, विजय यादव, रजनीकांत यादव सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।