गाजीपुर के जमानिया क्षेत्र के हमीदपुर, गरूआ मकसूदपुर इत्यादि ग्राम पंचायतों में वृक्षारोपण किया गया। वृक्षारोपण के दौरान उपजिलाधिकारी अभिषेक कुमार व विकास खंड अधिकारी बृजेश कुमार अस्थाना ने बताया कि वृक्ष नहीं रहेंगे तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा, जीवन की दृष्टि से पर्यावरण मानव के लिए सर्वोच्च जरुरत है। जल, जंगल और जमीन तीनों उसके प्रमुख आधार हैं। विकास के मौजूदा मॉडल की विफलता यह कि जीवन के इन तीनों आधारों को प्रदूषण ने लील लिया है। यही वजह है। की  आज देश की आबादी का बड़ा हिस्सा स्वच्छ व सुरक्षित पानी, शौचालय और शुद्ध हवा जैसी मूलभूतआवश्यकताओं से भी वंचित है। उन्होंने कहा की पर्यावरण पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। इस दिशा में समाज और सरकार को स्वच्छता और वृक्षारोपण को एक जनान्दोलन बनाने की तरफ सोचना होगा, जिसके लिए समाज की सहभागिता होना पहली और आवश्यक शर्त है। दोनों अधिकारियों ने बताया कि सामुदायिक सहभागिता के जरिए स्वच्छता की संस्कृति विकसित करने की जरुरत है। जिसके लिए कूड़े-कचरे को फिर से उपयोग में लाने की ठोस योजना का होना जरूरी है, इससे बड़ी संख्या मेंं रोजगार तो पैदा होगा ही, हमारे गांव, नगर कस्बा और शहर रहने योग्य भी बनेंगे। इसी तरह स्वच्छता को जल प्रबंधन से जोड़ना जरुरी है, जिसमें सीवर-सफाई और जल के पुनर्चक्रण द्वारा जल स्त्रोतों की सफाई और उससे औद्योगिक एवं कृषि उपयोग का काम भी हो सकेगा। स्वच्छता स्थानीय मुद्दा है। इसलिए इसके लिए टॉप डाउन प्रणाली उपयुक्त नही है। बल्कि इसके लिए समुदाय आधारित दुष्टिकोण अपनाना ही समझदारी है। अधिकारियों ने कहा की समाज को पर्याप्त अधिकार और संसाधन सम्पन्न बनाना जरुरी है। कोई भी नीति या नियम प्रभावी परिणाम तभी देता है जब समाज की सहभागिता उसमें हो। पर्यावरण ऐसा मामला है जिससे जीवन सीधे जुड़ा हुआ है। पर्यावरण की सेहत के लिए दो कामों का निरन्तर जारी रहना बेहद जरुरी है, पहला स्वच्छता और दूसरा वृक्षारोपण। स्वच्छता के अभाव में हमें स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे झेलने पड़ते हैं। ये किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहींं रहते हैं। वैश्वीकरण के दौर में दुनिया एक दूसरे से बहुत जुड़ गई है। हम सब परस्पर निर्भर स्थानों में रहते हैं। पर्यावरण का क्षरण बड़ा संकट है। इस चुनौती का सामना सामुदायिक सहभागिता के जरिए ही संभव है।पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अहम पहल है। क्योंकि जीवन दायनी ऑक्सीजन का एकमात्र स्त्रोत वृक्ष ही हैं। मानव जीवन वृक्षों पर ही निर्भर है। यदि वृक्ष नहीं रहेंगे तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। उक्त मौके पर वजाहत सिद्दीकी उर्दू बाबू सहित आदि कर्मी मौजूद रहे।