दसवीं मुहर्रम पर उमड़ा हुसैनियों का हुजूम, करबला तक तनी स्याह चादर
गाजीपुर के जमानियां में दसवीं मुहर्रम को नगर कस्बा सहित स्टेशन बाजार के तमाम मुस्लिम मोहल्ले गमजदा रहे। हर कोई गमे हुसैन में शरीक हुआ। कत्ल की रात के बाद बुधवार की सुबह मातम पसरा। ताजियों पर अकीदत के फूल चढ़ाकर मन्नत, मुरादें मांगी गईं। अखाड़ा जुलूस गम का इजहार किया गया। इसके साथ ही ताजिये को मुस्लिम बन्धु कांधा देकर तथा ठेला पर रखकर करबला मैदान पहुंचे दफनाया। 9वीं मोहर्रम से लेकर 10 वीं मोहर्रम की सुबह से ही शुरू अकीदत के फूलों के साथ करबला पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। नगर कस्बा के ताजियादार अपनी अपनी ताजिया के साथ कर्बला पहुंचे। जिसके बाद बारी बारी से सभी ताजिया को सुपुर्दे खाक किया गया। शाही जामा मस्जिद के इमाम तौहीद रजा ने बताया कि करबला तक ‘या अली, या हुसैन’ की सदाएं गूंजतीं रहीं। उन्होंने रवायत के मुताबिक बताया कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की करबला में शहादत की याद में नगर कस्बा सहित स्टेशन बाजार एवं मुस्लिम इलाको में छोटी बड़ी ताजिया के साथ करबला पहुंचे। तौहीद रजा ने बताया कि अकीदतमंद नम आंखों से फूलों को करबला में दफनाने के बाद शहीदे आजम की यादें लेकर लौटे। एक बार फिर उन्होंने सब्र और इंसानियत का सबक सीखा कि उसूलों पर चलकर जुल्म-सितम का डटकर मुकाबला करें। बताया जाता है। की करबला तक पहुंचने वाले रास्ते के दोनों ओर जियारत के लिए बड़ी संख्या में अकीदतमंद जुटे रहे। दोनों ओर के मकानों के बारजों से महिलाओं और बच्चों ने जियारत की। कांधा देने और बोसा लेने के लिए भी होड़ रही। ताजियादारों में स्वर्गीय नेहाल शेख मंसूरी के छोटे भाई सलीम मंसूरी, सैयद हसन राईन, हयात वारिस खान, अमीरूल हक आदि के साथ आरिफ खान, नेसार अहमद खान वारसी, मौलाना तनवीर रजा सिद्दीकी, माहिर कमाल, नेहाल खान, सद्दाम राईन, फिरोज राईन, वकील राईन, ईस्माइल राईन, कलाम राईन, लल्लू घड़ी साज, की देखरेख में दुरहिया स्थित करबला में रात्रि 10 बजे फूल दफनाए गए। बताया जाता है। की हजरत इमाम हुसैन (रजी.) की शहादत की याद दिलाने वाले मोहर्रम पर गमगीन माहौल में ताजिए दफन किए गए। इस मौके पर लोगों ने शर्बत पर फातिहा की और कुरान मजीद पढ़कर ईसाले सवाब भी किया। शहर के अनेक क्षेत्रों में ताजिए रखकर अकीदत मंदों ने हजरत इमाम हुसैन के नाम पर मजलिसों का आयोजन किया। जब कर्बला की तरफ जुलूस रवाना हुआ तो पूरा शहर या हुसैन की सदाओं से गूंज गया। शहर में मोहर्रम के मौके पर पूरा माहौल गमगीन दिखाई दिया। नौ मोहर्रम की रात से ही ताजिए चौक पर रख दिए गए थे। सुबह तक हजरत इमाम हुसैन की याद में मजलिसों का सिलसिला जारी रहा। इस दौरा अखाड़ाएलएलएल जुलूस बड़ी अकीदत व एहतराम के साथ निकाला गया गया। अखाड़ा जुलूस अपने परंपरागत रास्तों से होता हुआ देर शाम करबला मैदान पहुंचा। जहां लोगों ने नम आंखों से ताजियों को दफन किया। इस दौरान कोतवाली पुलिस कर्मी सुरक्षा पर अपनी कड़ी नजर बनाए रखा। 10 वीं मोहर्रम सुबह निकलने वाली अखाड़ा जुलूस तथा ताजिया