गाजीपुर। शहर में प्राइवेट हॉस्पिटल्स के बढ़ते विस्तार के बावजूद मरीजों को धोखा देने की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। कई मामलों में देखा गया है कि मरीजों को झूठी जानकारी, अनावश्यक परीक्षण, और अत्यधिक बिलिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की भूमिका इस स्थिति में महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी होती है। हालांकि, कई बार देखा गया है कि इस तरह की घटनाओं में CMO की प्रतिक्रिया धीमी या अपर्याप्त होती है। यह बेपरवाही मरीजों की समस्याओं को और बढ़ा सकती है और उन्हें उचित न्याय प्राप्त करने में मुश्किलें आ सकती हैं।

इन समस्याओं को हल करने के लिए, जरूरी है कि:

प्रभावी निगरानी: प्राइवेट हॉस्पिटल्स की नियमित निगरानी और समीक्षा की जाए ताकि वे मानक सेवा प्रदान करें और मरीजों के साथ धोखाधड़ी से बचा जा सके।

संबंधित शिकायत निवारण तंत्र: मरीजों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाए।

सख्त नियम और दिशानिर्देश: प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए सख्त नियम और दिशानिर्देश लागू किए जाएं और उनका पालन सुनिश्चित किया जाए। 

सभी संबंधित अधिकारियों और नागरिकों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे और मरीजों को उचित और न्यायसंगत देखभाल मिल सके।