गाजीपुर। ज्यादातर ग्राम सभाओं में कोटेदारो की मनमानी और नि:शुल्क राशन की समस्याएं भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक हैं। चुरामनपुर, बड़ागांव, दुल्लहपुर और जलालाबाद आदि गांवों के साथ जिले की समस्त ग्राम सभाओं में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को फिलहाल नि:शुल्क राशन प्रदान किया जाता है। हालांकि, इस प्रणाली के तहत कोटेदारों की मनमानी कई बार इस योजना के उद्देश्य को पूरा करने में बाधा डालती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन वितरण की जिम्मेदारी कोटेदार संभालता है। इसका काम है कि वह उचित मात्रा में राशन गरीबों और जरूरतमंदों को वितरित करे, जो कि सरकार की तरफ से सब्सिडी पर प्रदान किया जाता है। कोटेदार को राशन की मात्रा, गुणवत्ता, और वितरण की जिम्मेदारी भी दी जाती है। लेकिन कहने को और नियम बताने को तो हजारों हैं, गरीबों का हक मारने के लिए यह कोटेदार अपने अधिकारियों की मिली भगत से आम जनता का राशन, राक्षसों की तरह डकार रहे हैं। इनकी मनमानी से तात्पर्य है कि वह सरकारी नियमों और निर्देशों के खिलाफ जाकर राशन वितरण में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार करते है। यह मनमानी कई रूपों में हो सकती है। लोगो का कहना है कि कई बार कोटेदार जानबूझकर राशन मे कमी कर देता है, ताकि उस बचे हुए राशन को बाजार में बेचा जा सके है। नाम न छापने की शर्त पर लोगो ने बताया कि राशन को जंगीपुर में बेचा जाता है। कोटेदार राशन का वितरण कुछ परिवारों को कम मात्रा में करता है, और राशन को उचित समय पर वितरित नहीं करता। इस प्रकरण को अधिकारी भी जानते है, फिर भी कोटेदारों पर कार्यवाही नहीं करते है। कोटेदार राशन वितरण के साथ-साथ अन्य लाभकारी योजनाओं का भी दुरुपयोग करता है। कई बार लाभार्थी समय पर राशन प्राप्त नहीं कर पाते। कुछ कोटेदार सरकारी नियमों का पालन नहीं करते, जिससे वितरण प्रक्रिया प्रभावित होती है। कोटेदारो की मनमानी से सीधे तौर पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को ही नुकसान होता है और सही मात्रा में राशन नहीं मिलता जिससे गरीबों का जीवन स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामान्य रूप से राशन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का विकास हो रहा है, जिसको जिला पूर्ति अधिकारी गाजीपुर रोकने में नाकाम साबित हो रहे, बताया गया। जिससे गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। नियमित निरीक्षण और रिपोर्टिंग से मनमानी को कम किया जा सकता है। और राशन वितरण प्रणाली में तकनीकी समाधान जैसे कि डिजिटल रिकॉर्ड्स और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली का उपयोग किया जाना, इससे वितरण प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। कोटेदारो की मनमानी एक गंभीर समस्या है जो खाद्य सुरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है। सही और पारदर्शी वितरण प्रणाली स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि कोटेदारों के कार्यों की निगरानी की जाए, तकनीकी समाधान लागू किए जाएं और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जाए। इस तरह के कदम उठाकर जिला अधिकारी और जिम्मेदार अधिकारी राशन वितरण प्रणाली को सुधार सकते हैं और गरीबों को उनके अधिकार सुनिश्चित कर सकते हैं।
अधिकारियों की मिलीभगत से राशन, डकार रहा कौन..?
गाजीपुर। ज्यादातर ग्राम सभाओं में कोटेदारो की मनमानी और नि:शुल्क राशन की समस्याएं भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक हैं। चुरामनपुर, बड़ागांव, दुल्लहपुर और जलालाबाद आदि गांवों के साथ जिले की समस्त ग्राम सभाओं में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को फिलहाल नि:शुल्क राशन प्रदान किया जाता है। हालांकि, इस प्रणाली के तहत कोटेदारों की मनमानी कई बार इस योजना के उद्देश्य को पूरा करने में बाधा डालती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन वितरण की जिम्मेदारी कोटेदार संभालता है। इसका काम है कि वह उचित मात्रा में राशन गरीबों और जरूरतमंदों को वितरित करे, जो कि सरकार की तरफ से सब्सिडी पर प्रदान किया जाता है। कोटेदार को राशन की मात्रा, गुणवत्ता, और वितरण की जिम्मेदारी भी दी जाती है। लेकिन कहने को और नियम बताने को तो हजारों हैं, गरीबों का हक मारने के लिए यह कोटेदार अपने अधिकारियों की मिली भगत से आम जनता का राशन, राक्षसों की तरह डकार रहे हैं। इनकी मनमानी से तात्पर्य है कि वह सरकारी नियमों और निर्देशों के खिलाफ जाकर राशन वितरण में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार करते है। यह मनमानी कई रूपों में हो सकती है। लोगो का कहना है कि कई बार कोटेदार जानबूझकर राशन मे कमी कर देता है, ताकि उस बचे हुए राशन को बाजार में बेचा जा सके है। नाम न छापने की शर्त पर लोगो ने बताया कि राशन को जंगीपुर में बेचा जाता है। कोटेदार राशन का वितरण कुछ परिवारों को कम मात्रा में करता है, और राशन को उचित समय पर वितरित नहीं करता। इस प्रकरण को अधिकारी भी जानते है, फिर भी कोटेदारों पर कार्यवाही नहीं करते है। कोटेदार राशन वितरण के साथ-साथ अन्य लाभकारी योजनाओं का भी दुरुपयोग करता है। कई बार लाभार्थी समय पर राशन प्राप्त नहीं कर पाते। कुछ कोटेदार सरकारी नियमों का पालन नहीं करते, जिससे वितरण प्रक्रिया प्रभावित होती है। कोटेदारो की मनमानी से सीधे तौर पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को ही नुकसान होता है और सही मात्रा में राशन नहीं मिलता जिससे गरीबों का जीवन स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामान्य रूप से राशन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का विकास हो रहा है, जिसको जिला पूर्ति अधिकारी गाजीपुर रोकने में नाकाम साबित हो रहे, बताया गया। जिससे गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। नियमित निरीक्षण और रिपोर्टिंग से मनमानी को कम किया जा सकता है। और राशन वितरण प्रणाली में तकनीकी समाधान जैसे कि डिजिटल रिकॉर्ड्स और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली का उपयोग किया जाना, इससे वितरण प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। कोटेदारो की मनमानी एक गंभीर समस्या है जो खाद्य सुरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है। सही और पारदर्शी वितरण प्रणाली स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि कोटेदारों के कार्यों की निगरानी की जाए, तकनीकी समाधान लागू किए जाएं और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जाए। इस तरह के कदम उठाकर जिला अधिकारी और जिम्मेदार अधिकारी राशन वितरण प्रणाली को सुधार सकते हैं और गरीबों को उनके अधिकार सुनिश्चित कर सकते हैं।