गाजीपुर। खाद्यान्न की व्यवस्था और वितरण प्रणाली एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक नीति का हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना है। इसके लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं, जैसे कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अंत्योदय अन्न योजना। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि इनका सही और पारदर्शी ढंग से कार्यान्वयन किया जाए। लेकिन अक्सर भ्रष्टाचार और सिस्टम की खामियों के चलते गरीबों के अधिकारों का उल्लंघन होता है। गाजीपुर जनपद के जखनियां ब्लाक के चुरामनपुर ग्राम सभा के कोटेदार डबल इलेक्ट्रिक तराजू रखकर तोलते हैं। तथा वहां पर उपस्थित कार्ड धारकों का कहना है कि जिसको अनाज नहीं चाहिए वह सीधे-सीधे पैसे भी ले सकता है इस क्रम में ग्रामीणों ने मीडिया को बताया इसमें एक महिला ने 615 रुपए अनाज के बदले में लिया है, बताया। इस प्रकरण पर जब मीडिया प्रतिनिधि ने सप्लाई इंस्पेक्टर संतोष सिंह से टेलिफोनिक वार्ता कर उनका बयान लेने के लिए कहा तो उन्होंने अपने ऑफिस में बुलाया और मीडिया के पहुंचने के बाद बयान/ बाइट देने से उन्होंने साफ-साफ मना कर दिया। अगर ऐसे भ्रष्टाचारी कोटेदारों को अधिकारी एवं अन्य लोग बचते रहेंगे तो पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) भारतीय खाद्य सुरक्षा के लिए समस्या खड़ा होती जा रही है। हाल के दिनों में खाद्यान्न वितरण योजनाओं में भ्रष्टाचार की समस्याएं बढ़ गई हैं।
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अवैध लेन-देन, अनाज की कालाबाजारी, और खाद्यान्न की चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं। इस भ्रष्टाचार का सीधा असर गरीबों की खाद्य सुरक्षा पर पड़ता है, क्योंकि निर्धारित खाद्यान्न की मात्रा और गुणवत्ता में हेरफेर किया जाता है। सप्लाई इंस्पेक्टर खाद्यान्न वितरण प्रणाली के कार्यान्वयन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका मुख्य कार्य खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी करना, वितरण का उचित तरीके से होना सुनिश्चित करना, और वितरण के दौरान किसी भी तरह की अनियमितताओं को रोकना है। लेकिन कार्ड धारकों का कहना है कि अक्सर सप्लाई इंस्पेक्टर अपनी जिम्मेदारियों में ढिलाई बरतते हैं और भ्रष्टाचार के साथ समझौता कर लेते हैं। कई बार सप्लाई इंस्पेक्टर के पास भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को प्रमाण होता है। लेकिन भ्रष्टाचार में डुबकी लगाने से नहीं कतराते। नियमित रूप से निगरानी और जिम्मेदारी की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे वे भ्रष्टाचार के सामने झुक जाते हैं। अगर सिस्टम में पर्याप्त निगरानी और पारदर्शिता नहीं है, तो सप्लाई इंस्पेक्टर अपनी भूमिका में लापरवाही की हैं। वर्तमान में, कई रिपोर्टें दर्शाती हैं कि खाद्यान्न वितरण में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार आम हो गई हैं। गरीबों के खाद्यान्न पर डाका डालने के मामले में, अनाज की आपूर्ति सही तरीके से नहीं की जाती और ये अनाज काले बाजार में बेचा जाता है। सप्लाई इंस्पेक्टर इस प्रक्रिया में मूक दर्शक की भूमिका निभाते हैं और भ्रष्टाचार से मुंह मोड़ते हैं। भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के चलते इसका लाभ गरीबों तक सही ढंग से नहीं पहुंच पा रहा है। सप्लाई इंस्पेक्टर की उदासीनता और भ्रष्टाचार इस प्रणाली की सबसे बड़ी समस्याएं हैं। अब देखना होगा कि जिला पूर्ति अधिकारी इस प्रकरण संज्ञान लेते हैं,या।