डीपीआरओ के नाम पर खुलेआम, वसूली


गाजीपुर। जहूराबाद विधायक एवं योगी सरकार में पंचायती राजमंत्री ओमप्रकाश राजभर के चुनाव क्षेत्र जनपद गाजीपुर में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में खुलेआम लूट मची है। सूत्रों की माने तो डीपीआरओ के नाम पर जिला समन्यवक वसूली में जुटे हैं। इसके लिए प्रधानों एवं सचिवों को धमकाया भी जा रहा है। उन्हें हिदायत दी जा रही है कि आपके ग्राम पंचायत में लाखों की धनराशि भेजी गई है। आप तत्काल मिलिए, वरना कार्रवाई हो जाएगी। मगर अब सवाल उठता है कि आखिर किस बात के लिए डीपीआरओ से प्रधान मिलेंगे। इससे तो यही जाहिर होता है कि डीपीआरओ कार्यालय में खुलेआम योजनाओं में खेल किया जा रहा है। जो प्रधान नहीं मिल रहे हैं उन्हें जांच के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। इसको लेकर प्रधानों एवं सचिव में आक्रोश है। ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष मदन सिंह यादव का कहना है कि यह सच है कि डीपीआरओ के नाम पर वसूली हो रही है। हमने प्रधानों को मना किया है कि किसी भी प्रकार की रिश्वत डीपीआरओ कार्यालय के किसी भी कर्मचारी को न दी जाए। वर्ष 2024-2025 के लिए स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत 530 ग्राम पंचायतों में ओडीएफ प्लस कराने के लिए 25 करोड़ की धनराशि शासन से प्रेषित की गई है। इस धनराशि से ग्राम पंचायतों में नाली सफाई, किट, सोखता, प्रचार वाहन सहित अन्य मद में धनराशि खर्च करना है। इसके लिए प्रति व्यक्ति 705 के हिसाब से ग्राम पंचायतों को धनराशि आवंटित की गई है। इस योजनाओं को देखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिला स्तर पर तीन जिला समन्वयक, ब्लाक स्तर पर बीसी यानि खंड प्रेरक का पद सृजित किया गया है। जिला समन्वयकों को पांच पांच ब्लाक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। यह जिला समन्वयक अपनी रिपोर्ट जिला पंचायती राज अधिकारी को प्रेषित करेंगे। साथ ही ब्लाक स्तर पर तैनात एडीओ पंचायत को भी योजना का संचालन करना है, लेकिन बीसी एडीओ पंचायत की बात सुनते ही नहीं हैं। उनका कनेक्शन सीधे डीपीआरओ से रहता है।

ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष मदन सिंह यादव का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन में तीन जिला समन्वयक सौरभ विप्लव, अभय गुप्ता और श्रीकांत पांडेय के विषय में प्रधानों को सब कुछ पता है। कैसे ब्लाकों पर गड़बड़ी की जा रही है। प्रधान खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। फिर भी अगर निष्पक्ष जांच हुई तो दर्जनों प्रधान अपना बयान दर्ज करा सकते हैं।

प्रधानों का कहना है कि उन्होंने वसूली का अड्डा बना रखा है। उसके इशारे पर ही पूरा सिस्टम चलता है। इस योजना में हर माह लाखों रुपए की वसूली की जा रही है। 

डीपीआरओ जिला समन्वयक के ही माध्यम से पूरी योजना का संचालन करते हैं। यही वजह है कि जिला समन्वयक सौरभ विप्लव यादव पर पूरे जिले में खुलेआम वसूली का आरोप लग रहा है।

 दर्जनों प्रधान बीसी के साथ ही जिला समन्वयक सौरभ की शिकायत कर चुके हैं। यही नहीं एडीओ पंचायत और पंचायत सचिवों की बैठक में भी इस तरह की गड़बड़ी का मुद्दा उठाया जा चुका है। बावजूद इसके स्वच्छ भारत मिशन में गड़बड़ी पर गड़बड़ी की जा रही है। अब सवाल उठता है कि आखिर योगी राज में जीरो टारलेंस की नीति का पालन अधिकारी एवं कर्मचारी करने से क्यों कतरा रहे हैं।