गाजीपुर में सोमवार को उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेंटेटिव एसोसिएशन ने केंद्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को चार लेबर कोड में बदलने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सिकंदरपुर मोहल्ला स्थित श्रम कार्यालय के बाहर आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने नए श्रम संहिता की प्रतियों को फाड़कर जलाया और लोगों के बीच पर्चियों का वितरण किया। इस अवसर पर संजय विश्वकर्मा ने विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के डर का सहारा लेकर देश की जनता पर ये कानून थोपा है। उनका कहना था कि इन नए श्रम कानूनों से मजदूर कारपोरेट जगत का गुलाम बन जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि 44 श्रम कानूनों की जगह चार श्रम संहिताएं लागू की जा रही हैं—मजदूरी संहिता, औद्योगिक सुरक्षा व कल्याण संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और औद्योगिक संबंध संहिता। विश्वकर्मा ने चेतावनी दी कि इन संहिताओं में यह सुनिश्चित किया गया है कि मालिक अपने अनुसार मजदूरों को काम पर रख सके और जब चाहे उन्हें काम से बाहर निकाल सके। यह स्थिति स्थायी रोजगार को खत्म कर ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देगी। इससे मजदूरों के अधिकारों का हनन होगा और उन्हें रोजगार की स्थिरता नहीं मिलेगी। कार्यक्रम में कई अन्य नेताओं ने भी अपने विचार रखे। हरिशंकर गुप्ता, आरएम राय, विकास वर्मा, मोहम्मद अफ़ज़ल, मोहित गुप्ता और बीके श्रीवास्तव जैसे प्रमुख नेताओं ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की। चंदन राय ने अध्यक्षता की, जबकि संचालन विकास वर्मा और निकेत तिवारी ने किया। इस प्रदर्शन के माध्यम से संगठनों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे नए श्रम कानूनों के खिलाफ हैं और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अपील की कि वह मजदूरों की आवाज सुने और उनके हितों की रक्षा करे। गाजीपुर में हुए इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार के नए श्रम कानूनों के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ाने का काम किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि मजदूर वर्ग इन बदलावों को स्वीकार नहीं करेगा।