भाकपा (माले) और किसान संगठनों का बिजली और रोजगार को लेकर प्रदर्शन
गाजीपुर। सोमवार को भाकपा (माले), अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा, और अखिल भारतीय किसान महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कई मांगों को लेकर पैदल जुलूस निकाला। यह जुलूस स्टेशन रोड स्थित कार्यालय से शुरू होकर लंका होते हुए सरजू पांडेय पार्क में सभा में तब्दील हो गया। सभा में वक्ताओं ने प्रमुख मांगें उठाईं, जिसमें एक देश में एक समान बिजली रेट लागू करने, उत्तर प्रदेश में 300 यूनिट घरेलू बिजली मुफ्त देने, और मनरेगा में 200 दिन काम व 600 रुपये मजदूरी की गारंटी शामिल थीं। भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि वर्तमान में बिजली और बिजली विभाग लोगों के लिए संकट का कारण बन गए हैं। उन्होंने कहा कि बिना मीटर रीडिंग के गांवों में भारी फर्जी बिजली बिल भेजे जा रहे हैं और जबरदस्ती कनेक्शन काटे जा रहे हैं। कुशवाहा ने आगे कहा कि लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी छोड़कर बिजली विभाग के कार्यालयों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि पहले वोट के लिए फ्री बिजली का लालच दिया गया, लेकिन अब यह गरीबों के लिए एक समस्या बन गया है। मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष नंद किशोर बिंद ने कहा कि गांव और शहरों में मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत रोजगार की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बिजली के नाम पर जोर-जबर्दस्ती जारी रही और लोगों की आय का उचित प्रबंध नहीं हुआ, तो जनता बगावत कर देगी। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि वर्तमान में पंजाब, कर्नाटक और दिल्ली में घरेलू बिजली मुफ्त है, और इसे उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने फर्जी बिलों की अवैध वसूली और कनेक्शन काटने की प्रथा को रोकने की मांग की। सभा में उपस्थित अन्य नेताओं में भाकपा माले के जिला सचिव शशि कांत कुशवाहा, जिला सचिव राजेश वनवासी, पार्टी राज्य कमेटी सदस्य योगेंद्र भारती, राम प्रवेश कुशवाहा, अभिनायक, मंजू गोंड, विजय कुमार, विजयी वनवासी, श्याम प्यारी, सत्येन्द्र प्रजापति, राम विलास यादव, सगीर अहमद, डॉक्टर सलाउद्दीन खान, और चंद्रावती बिंद शामिल थे।सभा के अंत में, जिलाधिकारी, प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, और राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को सौंपा गया। इस प्रदर्शन ने सरकार के प्रति लोगों की असंतोष को स्पष्ट किया और उनकी आवश्यकताओं को रेखांकित किया। अब देखना होगा कि क्या सरकार इन मुद्दों पर ध्यान देगी और आवश्यक कदम उठाएगी।