विशेष रिपोर्ट: वीएनएफए/ वि.न्यूज/ बीबीसी- इण्डिया, डा.अरविंद गाँधी/ डा.सविता पूनम


वाराणसी। धर्म और संस्कृति की राजधानी काशी में धूम धाम के साथ विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप सकुशल सम्पन्न हुआ।  वाराणसी के  नाटी इमली स्थित लीला स्थल पर एकदशी के दिन मनाये जाने वाले इस भरत मिलाप में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। ठीक 4 बजकर 40 मिनट पर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण ने अपने सामने भरत, शत्रुघ्न को नतमस्तक देख दौड़कर उन्हें उठाया और गले लगा लिया।


अश्रुधाराओं के बीच श्रीराम काफी देर तक भाइयों को गले लगाए रहे। इस दौरान क्या नर क्या नारी ,क्या बूढ़े ,क्या नव जवान सभी ने हर हर महादेव और जय श्रीराम के नारे से बाबा विश्वनाथ की नगरी को गुंजायमान कर दिया।


                    यह गूंज आज कोरोना महामारी से  निपटने के बाद दूसरा मौका है जब आज पुन: चित्रकूट रामलीला समिति की रामलीला का भरत मिलाप दैवीय शक्तियों के बीच हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी संपन्न हुआ।


                     ज्ञातव्य हो की कोविड के चलते दो बार से यह प्रसिद्ध भरत मिलाप नहीं हो सका था ,लेकिन  काफी इंतजारी के बाद वर्ष 2023 में  भक्तो को भगवान का यह लीला देखने को मिला आज जैसे ही घड़ी में चार बजकर 40 मिनट का समय हुआ और अस्ताचलगामी सूर्य की रौशनी एक नियत स्थान पर पड़ी गोस्वामी तुलसी दास की लिखी गयी पंक्तियां जैसे ही कंठ से फूटी 14 वर्षों पश्चात वनवास से वापस लौटे भगवान् श्रीराम भाइयों को देख खुद को रोक न पाए और उनकी तरफ दौड़ पड़े।


इसके बाद यादव बंधुओं /यदुवंशी समुदाय ने एक रथ पर सभी भाइयों, माता सीता को उठाकर मेला स्थल पर मौजूद लोगों को चारों दिशा में रथ घुमाकर दर्शन कराया । भारत मिलाप शुरू होने से पहले ही  पूर्व काशीराज अनंत नारायण सिंह पूर्व की भांति अपने हाथी में बैठकर लीला स्थल पहुंचे तो सभी काशीवासियों ने हर हर महादेव के उद्घोष के साथ उनका भव्य स्वागत किया।


            उन्होंने देव् स्वरूपों को सोने की गिन्नियां भेंट की और उसके चंद क्षणों बाद लीला शुरू हो गयी।


       हमारे वाराणसी स्थित  ब्यूरो चीफ    के अनुसार इस लीला को देखने के लिए क्या बच्चे,क्या बुजुर्ग सबके मन में केवल एक ही श्रद्धा थी कि किसी प्रकार भगवान का दर्शन हो।


        सनातन संस्कृति को नजदीक से देखने के लिये भारत के कोने कोने से तो लोग आते है।   


            वहीं यादव बंधु वर्षो से जो  कई पीढ़ियों से चली आ रही इस प्राचीन परम्परा का निर्वहन भी वखुबी करते नजर आए।


                काशी की यह रामलीला /भारत मिलाप काफी मशहूर है। विजया दशमी के दूसरे दिन नाटी इमली क्षेत्र में स्थित यह भारत मिलाप  ढलते सूर्य यानि गोधूलि बेला में सूर्यास्त के पहले होने वाला विश्व विख्यात 'भरत मिलाप' का मंचन किया गया।


        श्री चित्रकूट रामलीला समिति काशी के मंत्री मोहन कृष्ण अग्रवाल ने बताया जाता है क‍ि यह 481 साल पुरानी परंपरा के तहत भरत मिलाप संपन्न हुआ है,जो  बनारस /काशी के लक्खा मेला के रूप में भी मशहूर है ।


            5 मिनट के इस लीला को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। खास बात ये है क‍ि लीला खत्म होने के बाद लोग घर न जाकर पहले कहीं व‍िश्राम करते हैं फ‍िर घर जाते हैं। इस लीला में पूर्व काशीराज अनंत नारायण सिंह खुद गजराज /हाथी पर सवार होते है और भगवान की परिक्रमा करते हैं और सोने की गिन्नी देकर प्रसाद लेतेहै फिर अपने वाराणसी के रामनगर स्थित राजनिवास दुर्ग के लिए प्रस्थान करते हैं।इस मौके पर उनके साथ राजपरिवार भी कई अन्य सदस्य भी हाथी पर सवार थे,जिन्होंने भी भगवान का दर्शन किया और आशीर्वाद लिया।साथ ही इस अवसर पर  श्री चित्रकूट रामलीला समिति काशी के अध्यक्ष सुबोध अग्रवाल,प्रबंधक प.मुकुंद उपाध्याय,मंत्री मोहन कृष्ण अग्रवाल सहित प्रबंध समिति के सभी सदस्यगण मौजूद थे।

छाया: वीएनएफए/वि.न्यूज

हाथी पर पूर्व काशी नरेश कुंअर अनंत नारायण सिंह और अन्य एवं रथ पर सवार भगवान श्रीराम अपने भाइयों एवम माता सीता संग।