गाजीपुर के जमानियां हर साल 2 अक्टूबर को भारत समेत दुनिया के कई देश गांधी जयंती मनाते हैं। वो दिन जब गांधी जी का जन्म हुआ था। 2 अक्टूबर को छुट्टी होती है। कई जगहों पर गांधी जयंती के कार्यक्रम होते हैं। इनसब के बीच हर एक भारतीय को गांधी जी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। मोहल्ला लोदीपुर स्थित सत्यम इंटर नेशनल स्कूल में मंगलवार को नन्हे मुन्ने छात्र छात्राओं के द्वारा एक शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। जिसमें बताया गया की महात्मा गांधी कौन थे। ऐसी शख्सियत जिनके बारे में सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में पढ़ाया जाता है। सम्मान में जिनके नाम के आगे महात्मा लगाया जाता है और प्यार से लोग जिन्हें बापू (राष्ट्रपिता) बुलाते हैं। उस व्यक्ति ने ऐसे कौन से काम किए थे। कि वो हमेशा के लिए अमर हो गए। जिनके जन्मदिन 2 अक्टूबर के मौके पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। नन्हे मुन्ने बच्चों ने आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से बताया कि एक आम इंसान कैसे बन गया राष्ट्रपिता। जिन्हें दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है। उनका वास्तविक नाम (माता-पिता द्वारा दिया गया पूरा नाम) मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई गांधी था। उनके पिता दीवान थे। महज 13 साल की उम्र में गांधी जी की शादी कर दी गई थी। उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। गांधी जी ने शुरुआती पढ़ाई पोरबंदर और राजकोट से पूरी की। फिर 1888 में 19 साल की उम्र में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन से वकालत की डिग्री ली। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी संघर्ष। बैरिस्टर बनने के बाद 1893 में गांधी जी एक कानूनी मामले के लिए साउथ अफ्रीका गए। लेकिन वहां जब उन्हें नस्लभेदी टिप्पणियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा। तो उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय को उनके रंग रूप के कारण संघर्ष करता देख उनकी लड़ाई लड़ने का फैसला किया। यही उनके जीवन का वो मोड़ था जब गांधी जी की सत्याग्रह की विचारधारा का जन्म हुआ। बता दें कि भारत में स्वतंत्रता संग्राम और गांधी जी के आंदोलन

20 साल से ज्यादा समय तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद 1915 में गांधी भारत लौटे। देश वापस आते ही गांधी जी आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। इसके लिए वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और जल्द ही इसके प्रमुख नेता बन गए। भारत के फ्रीडम स्ट्रगल में अंग्रेजों के खिलाफ गांधी जी के प्रमुख आंदोलन ये रहे। असहयोग आंदोलन (1920): ब्रिटिश शासन और उसके कानूनों के खिलाफ गांधी जी ने असहयोग की नीति अपनाई। इसके तहत भारतीयों ने ब्रिटिश कपड़ों, सामानों का बहिष्कार किया और स्वदेशी अपनाने पर जोर डाला। दांडी यात्रा (1930) ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध करने के लिए 240 मील (करीब 387 किमी) की पैदल यात्रा की। इसने राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार को भारत से तुरंत हटने की मांग की। अंग्रेजों को भारत से बाहर निकलने और उनके देश वापस भेजने की मांग वाले इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया मोड़ दिया। गांधी जी की विचारधारा। महात्मा गांधी ने अपना जीवन सत्य, अहिंसा आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय जैसे सिद्धांतों पर जीया। गांधी जी के प्रमुख जीवन सिद्धांत ये थे। अहिंसा गांधी जी का मानना था। कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। उन्होंने जीवन भर बिना हिंसा किए शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष किया। गांधी जी मानते थे। कि सच में सबसे बड़ी शक्ति होती है। उन्होंने कहा था,सत्य ही ईश्वर है। और भारतीयों को स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग करके आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया। उन्होंने चरखा का प्रतीक अपनाया। खादी को बढ़ावा दिया।

सर्वधर्म समभाव: गांधी जी सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते थे। उनका मानना था कि सभी धर्मों का उद्देश्य मानव कल्याण है। समाज में गांधी जी का योगदान

एक वकील, स्वतंत्रता सेनानी होने के अलावा गांधी जी समाज सुधारक भी थे। जिन बड़े सामाजिक मुद्दों पर उन्होंने काम किया। स्वच्छता अभियान: साफ सफाई को जीवन का महत्वपूर्ण अंग मानने वाले गांधी जी ने स्वच्छता के लिए ढेरों छोटे-बड़े अभियान चलाए। छुआछूत खत्म करना अछूत जैसे शब्द और भेदभाव की भावना के खिलाफ गांधी जी ने दलित समुदाय के लोगों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग शुरू कुया। इसका मतलब है। हरि+जन, यानी भगवान के लोग। महिला सशक्तिकरण: गांधी जी ने न सिर्फ भारत की महिलाओं को देश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। बल्कि उनके मूलभूत अधिकारों के लिए भी लड़े। गांधी जी को राष्ट्रपिता किसने कहा 4 जून 1944 को सिंगापुर में एक रेडियो मैसेज देते हुए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को देश का पिता (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया था। आगे चलकर भारत सरकार ने इस नाम को मान्यता दी। हालांकि गांधी जी को बापू इससे बहुत पहले से कहा जाता था। इतिहासकारों के अनुसार, 1917 में चंपारण सत्याग्रह के दौरान एक किसान ने उन्हें बापू (पिता) कहकर संबोधित किया था। भारत को आजादी मिलने के सिर्फ 5 महीने बाद ही 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने दिल्ली में गांधी जी को गोली मार दी। गांधी जी की मृत्यु न सिर्फ भारत, पूरे विश्व को शोक में डालने वाली थी।


रिपोर्ट सलीम मंसूरी