(विशेष रिपोर्ट : डा.अरविंद गांधी - बीबीसी -इण्डिया/वीएनएफए/वि. न्यूज)
वाराणसी। आज शहर भ्रमण करने पर एक अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली जो एक मां की ममत्व है देखा कि एक मां अपने बच्चे के भरण पोषण और उसे अपनी ममत्व करने हेतु अपनी जीवन को किस प्रकार अर्पित कर बच्चे को पालती है और उसे अपना दूध यानी अपने रक्त से तैयार नेचुरल दुग्ध स्तनपान कराकर बड़ा करती है, इसी प्रकार सभी जीव भी अपने बच्चे को पालती हैं और उनका पालन पोषण करती हैं, ममत्व भी उतना ही होता है सभी जीवों भी जितना एक इंसान रूपी मां के अंदर होता है।देखिए एक मां स्वरूप कुतिया अपने बच्चों को दुग्ध /स्तनपान करा रही है और कितना शालीन होंकर सोई है, मगर उस वक्त उसके बच्चे कोई छू तक नहीं सकता है,वरना कुत्ते क्या हश्र करते हैं सभी परिचित है, ये सिर्फ इस लिए की मानव रूपी विवेकशील पुरुष /महिला अपने को जाने कब समझेंगे। ये मां का ममत्व और उनकी शालीनता है जो गौर फरमाने वाली महत्वपूर्ण तथ्य है। आज के बच्चों को इस कुतिया रूपी मां जो अपने बच्चे के लिए समर्पित होकर उसके भरण पोषण हेतु आहार के लिए अपनी स्तनपान करा रही है,यह आजके बच्चों को नसीहत लेने की आवश्यकता है,और मन के दर्द को समझने जरूरत है,इसी लिए बुजुर्गों ने कहा है कि मां का ऋण कोई भी चुकता नहीं कर सका है।