गाज़ीपुर। बहादुरगंज नगर स्थित विवादित मदरसा मदरसातुल मसाकिन के शिक्षकों ने प्रबंध तंत्र और प्रधानाचार्य के खिलाफ धरने की शुरुआत की है। इस धरने का उद्देश्य शिक्षा प्रबंधन जियाउर रहमान के खिलाफ उनके कथित गलत कार्यों के खिलाफ आवाज उठाना है। शिक्षकों का आरोप है कि उन्हें लगातार शोषण का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना, निलंबन की धमकी देना, और झूठी शिकायतें कराना शामिल हैं।

इस प्रकरण की शुरुआत हाल ही में उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वाराणसी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गाजीपुर के द्वारा की गई जांच के दौरान हुई। इस जांच में कुछ शिक्षकों ने गवाही दी कि नसीम खान और अरशद जमाल जैसे शिक्षक नियमित रूप से मदरसे नहीं आते हैं। इसके बाद प्रबंध तंत्र ने फैजुर रहमान नामक शिक्षक को नोटिस जारी करके निलंबन की कार्रवाई करने की धमकी दी, जिससे शिक्षकों में आक्रोश फैल गया।

27 अक्टूबर से शुरू हुए धरने में शिक्षक गेट पर बैठकर अपनी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गाजीपुर को लिखित पत्र भेजकर अपने आरोप लगाए हैं। पत्र में कहा गया है कि कई शिक्षक मदरसा नहीं आते हैं, जबकि वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है। इसके अलावा, हाफिज अब्दुल जलील के खिलाफ झूठी शिकायत कराकर उनसे ₹600,000 वसूले जाने की भी बात की गई है। कई शिक्षकों से चंदे के नाम पर हर महीने ₹5,000 वसूले जाने का आरोप भी लगाया गया है।

धरने में शामिल शिक्षकों का कहना है कि प्रबंधक अब्दुल गनी और शिक्षा प्रबंधक जियाउर रहमान द्वारा गाली-गलौज और धमकियां दी जाती हैं, जिससे वे मानसिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं। शिक्षकगण ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे अनवरत भूख हड़ताल करने को मजबूर होंगे।

इस धरने से मदरसे का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है, और बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय कस्बे में इस मुद्दे पर चर्चाएं हो रही हैं, और समुदाय के विभिन्न वर्गों में चिंता का माहौल है। शिक्षकों की इस लड़ाई को लेकर शिक्षा प्रबंधन के खिलाफ भी विरोध की लहर उठ सकती है।

शिक्षकों के इस धरने से न केवल शिक्षा प्रबंधन के कार्यों पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत लोग अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज उठा रहे हैं। यह स्थिति आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद को और अधिक मजबूत बना सकती है, यदि इस मामले का उचित समाधान किया जाए।