गाजीपुर। अशोक विजयादशमी शब्द उस ऐतिहासिक उत्सव से लिया गया है जो कलिंग युद्ध में सम्राट अशोक की जीत के दस दिन बाद हुआ था। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म का मार्ग शुरू किया था, जो उनके जीवन में एक परिवर्तनकारी क्षण था। भीषण कलिंग युद्ध के बाद, उन्होंने हिंसा छोड़ दी और बौद्ध धम्म के सिद्धांतों को अपना लिया।
समाजसेवी राजकुमार मौर्य ने कहा कि सम्राट अशोक विश्व के इकलौते सम्राट हैं जिनको देवनप्रिय कहा गया है उन्हें कई नाम से जाना जाता है उन्होंने संपूर्ण भारत पर एक छत्र राज किया , भारतवर्ष का राष्ट्रीय चिन्ह भी अशोक स्तंभ ही है न्यायालय से लेकर राष्ट्रपति भवन जो अभी हाल ही में बना है उसके शीर्ष पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है भारत का सबसे बड़ा शौर्य और वीरता पर दिए जाने वाला सम्मान भी अशोक चक्र ही है लेकिन ऐसे महान सम्राट के विजय दिवस को दरकिनार किया जाना सम्राट अशोक ने पूरे अपने जीवन में बिना भेदभाव के संपूर्ण भारतवासियों की सेवा की पशुओं के लिए अस्पताल बनवाएं जगह-जगह तालाब वह कुएं का निर्माण कराया जम्मू कश्मीर में बना सबसे बड़ा झील भी सम्राट अशोक के हाथों द्वारा निर्मित है ऐसे महान सम्राट को उनके इस विजय दिवस को याद कर संपूर्ण देशवासियों को बताने की जरूरत है
भारत के कण कण में सम्राट अशोक के वीरता भरे इतिहास को संजोए हुए हैं , वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है इस विषय पर सरकार को विचार करनी चाहिए।