वाराणसी, 10 नवम्बर 2024। आज गोपाष्टमी के पावन अवसर पर, ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने गो प्रतिष्ठा आंदोलन के अगले चरण की शुरुआत की। इस दौरान शंकराचार्य जी ने भारत के 36 प्रदेशों में गौप्रतिनिधियों को रवाना किया, ताकि गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने की दिशा में आंदोलन को और गति दी जा सके।
सनातन धर्म में गाय को "गोमाता" का दर्जा दिया गया है और इसे मां के समान सम्मानित किया जाता है। हालांकि, भारत के कानून में गाय को पशु के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसके कारण उसके संरक्षण और सम्मान में कई बाधाएं उत्पन्न होती हैं। गोहत्या पर रोक और गाय को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए शंकराचार्य जी के नेतृत्व में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन निरंतर जारी है।
इस आंदोलन के तहत, 22 सितंबर से 27 अक्टूबर तक शंकराचार्य जी ने "गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा" पूरी की, जिसमें उन्होंने पूरे देश के 36 प्रदेशों की राजधानी में गौ ध्वज फहराया और गो धर्मसभा का आयोजन किया। यात्रा का समापन 27 अक्टूबर को श्री वृंदावन धाम में हुआ। इस यात्रा के बाद, गोपाष्टमी के दिन शंकराचार्य जी ने श्री विद्या मठ, केदारघाट, वाराणसी में गो पूजन किया और धर्म सम्राट् यतिचक्रचूडामणि पूज्य करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में 1966 के गौरक्षा आंदोलन की याद में गोभक्त बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने इस वर्ष को "गौ संवत्सर" के रूप में घोषित किया है और अब इस आंदोलन का अगला चरण जिला और विधानसभा स्तर पर गो ध्वज की स्थापना और गो धर्म सभाओं का आयोजन होगा। शंकराचार्य जी ने गोमाता के सम्मान और संरक्षण के लिए अगले एक साल में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का ऐलान किया। इनमें प्रमुख रूप से, 14 जनवरी से 14 फरवरी 2025 तक प्रयागराज माघ मेले में 324 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जो एक माह तक चलेगा और गौमाता की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देगा।
इसके अतिरिक्त, शंकराचार्य जी ने कहा कि सभी निर्वाचित सांसदों से यह अपेक्षाएँ की जाएंगी कि वे स्वयं को "गोभक्त" या "गोद्रोही" घोषित करें, और यदि वे गोद्रोही घोषित होते हैं, तो उनसे कड़े सवाल किए जाएंगे। शंकराचार्य जी के नेतृत्व में यह आंदोलन अब तक 5 करोड़ से अधिक सनातनी गो मतदाताओं को शपथ दिलाने में सफल रहा है, और आगामी वर्षों में यह संख्या बढ़ाने का लक्ष्य है।
गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने के उद्देश्य से 27 मार्च 2025 को वाराणसी में एक विशाल गो महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पूरे भारत से 1.25 करोड़ गोभक्तों के सम्मिलित होने की संभावना है। इस आयोजन में गौमाता के संरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले सभी आंदोलकारियों और गोरक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही, पूरे भारत में कम से कम 33 करोड़ गो मतदाताओं को शपथ दिलाने का अभियान चलाया जाएगा।
इस आंदोलन को और प्रभावी बनाने के लिए शंकराचार्य जी ने भारत के 36 प्रदेशों में गौप्रतिनिधियों की नियुक्ति की है। इन प्रतिनिधियों का मुख्य कार्य गौमाता के सम्मान और संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाना और स्थानीय स्तर पर गो ध्वज की स्थापना को सुनिश्चित करना होगा। निम्नलिखित प्रदेशों से गौप्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं:
आंध्र प्रदेश से संजय सती जी
अरुणांचल प्रदेश से मनमोहन श्रीवास्तव
असम से रणजीत दस
बिहार से पीयूष तिवारी
छत्तीसगढ़ से ओम प्रकाश शर्मा
गोवा से किशन जयसवाल
गुजरात से हरीश चौहान
हरियाणा से जय किशन शर्मा
हिमाचल प्रदेश से सुनील ठाकुर
झारखंड से शिवाजी परमार
कर्नाटक से प्रवीण जैन
केरल से सुभाष हिंगोले
मध्य प्रदेश से महेंद्र भार्गव
महाराष्ट्र से नवनाथ दुधल
मणिपुर से अशोक सिंह
मेघालय से राजा सक्षम सिंह योगी
मिज़ोरम से हर्ष मिश्रा
नागालैंड से राजीव झा
उड़ीसा से चित प्रकाश ब्रह्मचारी
पंजाब से सुभाष मल्होत्रा
राजस्थान से बाबूलाल जाँगीर जी
सिक्किम से गौरव कुमार जी
तमिल नाडु से महेंद्र तिवारी जी
तेलंगाना से महेंद्र तिवारी
त्रिपुरा से अमित चौहान
उत्तर प्रदेश से दयाशंकर दास
उत्तराखंड से विकास पाटनी
पश्चिम बंगाल से सोहम दास जी
चंडीगढ़ से राजेंद्र मिश्रा जी
जम्मू कश्मीर से दीपू रैना जी
लक्षद्वीप से आचार्य विजय प्रकाश
पुडुचेरी से अधवान जी
लद्दाख से गोपाल दास जी
यह गौप्रतिनिधि अब अपने-अपने क्षेत्रों में गौमाता के सम्मान के लिए काम करेंगे और इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाएंगे। शंकराचार्य जी के नेतृत्व में गौभक्तों का यह आंदोलन अब और तेज़ी से आगे बढ़ेगा, ताकि गोहत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित हो और गाय को उसका सम्मान जनक सम्मान प्राप्त हो।