गाजीपुर। गाजीपुर जिले से एक और हृदयविदारक घटना सामने 17 नवंबर को आई है, जिसने न केवल लोगों को झकझोर दिया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमन सर्जिकल हॉस्पिटल में एक गर्भवती महिला संजू देवी की सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मौत हो गई। संजू देवी, जो थाना क्षेत्र नोनहरां के सुसुंडी गांव की निवासी थी, अपने बच्चे की उम्मीद के साथ अस्पताल पहुंची थी, लेकिन ऑपरेशन के दौरान उसकी जान चली गई। यह घटना स्वास्थ्य व्यवस्था की चूक और मरीजों के साथ की जा रही लापरवाही का एक और दुखद उदाहरण बन गई है।

यह घटना जिले में पिछले 15 दिनों में दूसरी ऐसी मौत का बताया जा रहा है, जिसमें निजी अस्पतालों की लापरवाही सामने आ रही है। इससे पहले शिव सर्जिकल हॉस्पिटल में रामप्यारी देवी नाम की महिला की जच्चा-बच्चा की मौत हो चुकी थी। दोनों घटनाओं ने गाजीपुर जिले के निजी अस्पतालों की चिकित्सा सेवाओं और डॉक्टरों की पेशेवर जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या मरीजों की जिंदगी के प्रति इन अस्पतालों का कोई सम्मान नहीं है?

मृतक महिला के परिजनों का कहना है कि संजू देवी को खून की कमी थी, इसके बावजूद डॉक्टरों ने सिजेरियन ऑपरेशन करने का फैसला लिया। ऑपरेशन के दौरान महिला की स्थिति बिगड़ी, लेकिन डॉक्टरों ने समय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब हालत बिगड़ी, तो महिला को वाराणसी रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इस बीच नवजात शिशु की जान तो बच गई, लेकिन उसकी मां को खोने का गहरा शोक परिवार के लिए असहनीय बन गया। अब वह बच्चा अपनी मां के बिना अनाथ हो गया है। परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर सही समय पर इलाज करते और ऑपरेशन में सावधानी बरतते, तो यह घटना टाली जा सकती थी।

गांव में इस घटना को लेकर गहरा शोक है। मृतका के परिजनों के अलावा, पूरे गांव में लोग इस घटना से स्तब्ध हैं। लोग स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह घटना जिले के स्वास्थ्य सेवाओं में हो रही अव्यवस्थाओं को उजागर करती है। गाजीपुर के निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज को लेकर गंभीर लापरवाही देखी जा रही है।

स्थानीय लोग और परिजन स्वास्थ्य विभाग से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके। यह घटना सिर्फ गाजीपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। यदि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं किया गया और डॉक्टरों की जिम्मेदारी को सुनिश्चित नहीं किया गया, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और बढ़ सकती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की नाकामी साफ तौर पर सामने आ रही है। स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही की वजह से गाजीपुर में इस प्रकार की घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। निजी अस्पतालों के संचालक अपनी प्रॉफिट के चक्कर में मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। यही कारण है कि गाजीपुर के लोग अब जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग को सुधारने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।

दोषी डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोग और परिजनों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं और इस पर रोक लगनी चाहिए। यह घटना न केवल गाजीपुर बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक कड़ी चेतावनी है। लोग सवाल कर रहे हैं कि सीएमओ और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की क्या भूमिका है, जिन्होंने इन निजी अस्पतालों की अव्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया? यदि समय रहते इन अस्पतालों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो मरीजों की जिंदगी खतरे में रहेगी।

गाजीपुर के स्वास्थ्य विभाग को इस घटना से एक बड़ा सबक लेना चाहिए। प्रशासन को स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार और डॉक्टरों की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में कड़े कदम उठाने होंगे। यह मामला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता


यह घटना न केवल गाजीपुर बल्कि पूरे जिले के लिए एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। हर दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि कुछ निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। डॉक्टरों और अस्पतालों की जिम्मेदारी तय करना, उनके कामकाजी मापदंडों को मानक के अनुरूप बनाना और मरीजों के इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही की अनुमति न देना बेहद जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इस घटना पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और दोषी डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यह सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

यदि अब भी इस मामले पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में और परिवार इस तरह की घटनाओं से प्रभावित होंगे। गाजीपुर के लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और इस दुखद घटना के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार सुनिश्चित करेंगे।