गाज़ीपुर। गाज़ीपुर जिले में मनरेगा योजना के तहत श्रम और सामग्री के खर्च में भारी अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की खबरे सामने आई हैं। सदर ब्लॉक के 9 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत 71.3 लाख रुपये श्रम पर और 1.5 करोड़ रुपये सामग्री पर खर्च किए गए हैं, जबकि सरकार के निर्देशों के अनुसार यह खर्च श्रम पर 60% और सामग्री पर 40% से अधिक नहीं होना चाहिए। कुछ ब्लॉक में तो 50-50% के अनुपात में सामग्री खर्च किए जाने की जानकारी सामने आई है, जिससे मनरेगा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप उठ रहे हैं।
प्रधान संगठन के पूर्व जिला अध्यक्ष भयंकर यादव ने इस मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मनरेगा कार्य की योजना की स्वीकृति से लेकर भुगतान तक कमीशन का खेल चलता है, और इस प्रक्रिया में उच्च अधिकारी भी शामिल होते हैं। भयंकर यादव ने कहा कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार से गरीब मजदूरों और ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ता है, और इसका खामियाजा सिर्फ आम आदमी को भुगतना पड़ता है।
प्रधान संघ अध्यक्ष मदन सिंह यादव ने भी आरोप लगाया कि मनरेगा में 60% श्रम और 40% सामग्री के खर्च के शासनादेश की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। उन्होंने कहा कि ब्लॉक से लेकर उच्च अधिकारियों तक यह नियम ताक पर रखकर कमीशन की खातिर धन की बंदरबांट की जा रही है। यादव ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं की जाती है तो प्रधान संगठन भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करेगा।
स्थानीय ग्रामीणों और पंचायतों के नेताओं का कहना है कि मनरेगा में इस तरह के भ्रष्टाचार की घटनाओं के कारण न केवल योजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि मजदूरों को भी उनका उचित हक नहीं मिल पा रहा है। जो धन श्रमिकों के मजदूरी के रूप में मिलने चाहिए थे, वह बड़ी संख्या में बिचौलियों और अधिकारियों के जेब में चला जा रहा है।
इस संदर्भ में, जिला प्रशासन ने मामले की जांच की बात की है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। वहीं, कई ग्राम प्रधानों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा भ्रष्टाचार संभव नहीं है। अब यह देखना होगा कि क्या जिला प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाता है या फिर यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
मनरेगा की योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और विकास कार्यों को गति देना है, लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार के कारण योजना का असली उद्देश्य न केवल बाधित हो रहा है, बल्कि ग्रामीण जनता का विश्वास भी प्रशासन पर से उठता जा रहा है।
इस बीच, प्रधान संघ और अन्य पंचायत प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी से अपील की है कि वह इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करें और मनरेगा के खर्च पर हुए अनियमितताओं की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता है तो प्रधान संघ ने चेतावनी दी है कि वह आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।