गाज़ीपुर, 10 नवम्बर। प्रसिद्ध साहित्यकार और मार्क्सवादी चिंतक स्व. हृषिकेश जी की पुण्यतिथि पर भारद्वाज भवन में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें "समाज और साहित्य" विषय पर विचार-विमर्श हुआ। इस गोष्ठी में भा.क.पा. के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अमेरिका सिंह यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कहा कि समाज की कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरता है जिसमें उच्च चिंतन, स्वाधीनता का भाव, सौंदर्य का सार, और सृजन की आत्मा हो। उन्होंने हृषिकेश जी की लेखनी की सराहना करते हुए कहा कि उनका साहित्य कभी भी सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं था, बल्कि वह समाज की सच्चाइयों को उजागर करने और संघर्ष की दिशा में प्रेरित करने वाला था।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. राम बदन सिंह ने हृषिकेश जी के साहित्यिक योगदान पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि उनकी कई कहानियाँ जैसे 'कत्लेआम', 'मिस सोलोमन का जहन्नुम', 'पोस्ट कार्ड' और 'शिविर वीरानियां' बहुत लोकप्रिय हुईं और इनसे समाज के आम लोगों की पीड़ा को उकेरा गया। उन्होंने कहा कि हृषिकेश जी के साहित्य में निर्भीकता और सिद्धांतों से समझौता न करने की विशेषता थी, जो उन्हें एक सशक्त लेखक बनाती है।
गोष्ठी में चिकित्सक पियूष कांत सिंह, ईश्वरलाल गुप्ता, साहब सिंह यादव, और जयहिंद कुमार प्रजापति ने भी हृषिकेश जी की याद करते हुए उनके साहित्यिक योगदान को सराहा। सभी ने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में ऐसे साहित्यकारों और चिंतकों की जरूरत है जो समाज की जटिलताओं पर गहरी नजर रखते हुए सही दिशा में विचार प्रस्तुत करें।
अंत में, हृषिकेश जी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ईश्वरलाल गुप्ता, सह-सचिव भा.क.पा., ने की।