गाजीपुर के जमानियां नगर पालिका परिषद के पठान टोली निवासी मोहम्मद आरिफ खान अपने आवास पर ग्यारहवीं शरीफ़ रबी-उस-सानी महीने की 11वीं तारीख को मनाया जाता है। ग्यारहवीं शरीफ के मौके पर कुरानी हुए। इस दौरान उन्होंने 4 देग  भोजन बनवाकर अपने लोगों को खिलाया। बराया जाता है। की इस दिन हज़रत अब्दुल कादिर जीलानी की पुण्यतिथि होती है। इस दिन लोग हज़रत अब्दुल कादिर जीलानी के नाम से फ़ातिहा ख्वानी करते हैं। शेख अब्दुल कादिर जीलानी के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान किया जाता है। बता दें कि ग्यारवी शरीफ शब्द उर्दू-हिंदी शब्द ग्यारह से लिया गया है। जिसका अंग्रेजी में मतलब 11 (ग्यारह) होता है। शरीफ सम्मानसूचक शब्द है। शेख अब्दुल कादिर जिलानी अपने जीवनकाल में प्रत्येक चांद मास की 11 तारीख को अपने अनुवायियों में भोजन वितरित करते थे। और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ईसाले सवाब पेश करते थे। रबी अल आख़िर या ग्यारवी शरीफ़ की 11वीं तारीख़ प्रसिद्ध संत हज़रत अब्दुल कादिर गिलानी अल्लाह की रहमत उन पर से जुड़ी है। उनका दूसरा नाम अल हसनी वल हुसैनी है। हालाँकि, यह हज़रत इमाम हुसैन अल्लाह की रहमत उन पर हो और हज़रत इमाम हुसैन अल्लाह की रहमत उन पर हो से उनके वंश को दर्शाता है। आलिमों के अनुसार उनका जन्म इराक के गिलान नामक स्थान पर हुआ था। यही कारण है कि उनका अंतिम नाम गिलानी है। शाही जामा मस्जिद के सेकेट्री मौलाना तनवीर रजा सिद्दीकी व नूरी मस्जिद के इमाम हाफिज असरफ करीम कादरी ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गिलान से प्राप्त की। बाद में वह हज़रत इब्न अकील और हज़रत अबू सईद मुबारक मखज़ूमी के अधीन हंबली कानून का अध्ययन करने के लिए बगदाद चले गए। हज़रत अबू मुहम्मद जाफ़र अल-सरराज ने उन्हें हदीस की शिक्षा दी। उन्होंने बताया कि हालाँकि हज़रत अबुल-ख़ैर हम्माद इब्न मुस्लिम अल-दब्बास अल्लाह का आशीर्वाद उन पर रहा है। और उनके आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने इस्लाम के विश्वासों और सिद्धांतों का प्रचार किया और बहुत से ईसाई और यहूदी लोगों ने उनकी शिक्षाओं को स्वीकार किया। उन्होंने अपने छात्रों को हदीस तफ़सीर और कुरान मजीद के गुण सिखाए। मौलाना तनवीर रजा सिद्दीकी व हाफिज असरफ करीम कादरी ने बताया कि हज़रत अब्दुल कादिर गिलानी पर अल्लाह की रहमत उन पर रहा है। उनके अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। हज़रत अब्दुल कादिर गिलानी अल्लाह की रहमत के अलावा उनके अनुयायी ग्यारवी शरीफ़ की तारीख़ पर फ़ातिहा पढ़ते हैं। और समाज के गरीब और भूखे लोगों को खाना खिलाते हैं। हालाँकि, ग्यारवी शरीफ़ की तारीख़ का पालन इस्लाम में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देता है। उक्त मौके पर आरिफ खान वारसी, हयात वारिस खान, प्रिंस, आदि के साथ पूरे परिवार के सदस्य गण मौजूद रहे।