गाजीपुर। महिला अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से एक गंभीर समस्या उभरकर सामने आई है। अस्पताल में सर्जरी के दौरान टांकों के टूटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे प्रसूताओं और अन्य महिला मरीजों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 23 दिन में ही टांके के धागे टूटने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे इलाज के दौरान कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। अस्पताल प्रशासन इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देने में नाकामयाब नजर आ रहा है, और मरीजों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

टांकों के धागे की गुणवत्ता पर सवाल

अस्पताल के प्राचार्य आनंद मिश्रा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टांके लगाने के लिए उच्च श्रेणी के धागे का उपयोग किया जा रहा है। उनका कहना है कि पहले इस प्रकार की शिकायतें आई थीं, लेकिन अब स्थिति में सुधार हुआ है। बावजूद इसके, मरीजों का कहना है कि टांके के धागे की गुणवत्ता खराब होने के कारण उन्हें संक्रमण और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सर्जरी के बाद बढ़ रही परेशानियां

अस्पताल में प्रतिदिन 6 से 8 सर्जरी की जाती है, लेकिन टांके के सही से न लगने और टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके कारण मरीजों को सर्जरी के बाद दो से तीन दिन में ही परेशानी होने लगती है, और उन्हें संक्रमण का सामना करना पड़ता है। एक सप्ताह में ठीक होने वाली महिला मरीजों को अब तकरीबन 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। इस कारण मरीजों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक परेशानी भी हो रही है।

ब्लड कलेक्शन और अल्ट्रासाउंड की सुविधा की कमी

इसके अलावा, महिला अस्पताल में ब्लड कलेक्शन और अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी सुविधाओं की भी कमी महसूस हो रही है। शहर और ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन लगभग 300 से 350 महिलाएं ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचती हैं, लेकिन उन्हें अक्सर ब्लड टेस्ट के लिए मेडिकल कॉलेज के ब्लड कलेक्शन सेंटर पर जाना पड़ता है। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने के कारण उन्हें बाहर के केदों पर जाना पड़ता है, जिससे अतिरिक्त खर्च होता है। इस स्थिति में अस्पताल प्रशासन को इन समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।

महिला स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही

मरीजों का आरोप है कि सर्जरी के दौरान महिला चिकित्सक सर्जरी तो सही से कर देती हैं, लेकिन अस्पताल में तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मी टांके ठीक से नहीं लगाते हैं। इस कारण मरीजों को अतिरिक्त दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्जरी के बाद, टांकों के टूटने से महिलाओं को घातक संक्रमण और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है।

आवश्यक सुधार की जरूरत

इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देना चाहिए और सुधार की दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए। विशेष रूप से टांकों के धागे की गुणवत्ता और महिला स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके साथ ही, अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जैसी आवश्यक सुविधाओं को भी उपलब्ध कराना चाहिए ताकि महिलाओं को बाहर के अस्पतालों पर जाने की जरूरत न पड़े।

गाजीपुर के महिला अस्पताल में लगातार बढ़ रही समस्याओं को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि प्रशासन इस पर त्वरित कार्रवाई करे, ताकि मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।