गाजीपुर के जमानियां से ईमानदारी कभी भी सर्वोत्तम नीति ना तो थी। और ना कभी होगी इतिहास में और आज के भी सभी सफल लोगों की अगर लिस्ट बनाए तो शायद एक ही लोगों के लिए ईमानदार होगा। जिसका नाम और कार्य बहुत ही सुंदर है। उसका नाम नगर पंचायत दिलदार नगर के चेयरमैन अविनाश जायसवाल है। बताया जाता है। की सरल स्वभाव होने के साथ ईमानदारी अंतरात्मा जैसी सभी बातें समाज ने इसीलिए बनाई हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी साबित हो रहे है। जो कभी पहले ईमानदारी होने का ठिठुरा पीटते रहे। ताकि मुट्ठी भर लोग साम, दाम, दंड, भेद जैसी नीतियों का पालन कर सारे संसाधन अपने कब्जे में कर लें और बाकी सब धर्म, ईमानदारी और अपना परलोक सुधारने के चक्कर में उनकी सेवा और गुलामी करने पर उतारू हो गए। लेकिन नगर पंचायत दिलदारनगर के ईमानदार लोकप्रिय चेयरमैन अविनाश जायसवाल ईमानदारी कि नीति का पालन करते हैं और जो विकास के कार्य में योगदान करते है। अपनी इसी छवि के बीच एक अच्छी छवि और ईमानदारी के लिए जाने पहचाने जाता है। जयसवाल सभी कमजोर और गरीब लोगों की चाहे कितनी बड़ी समस्या हो। उसके समाधान के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हुए, उसके निदान के लिए कार्य करने वालों में पहचान किया जाता है। आगामी नगर पालिका परिषद के चुनाव में अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ नगर की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए मैदान में रहेंगे। जमानियां कस्बा के होनहार संघर्षशील कदम से कदम मिलाकर चलने वाले विशाल वर्मा, राजू यादव, सेराज खान, नेहाल खान, नेसार खान, आरिफ खान, एजाज अहमद, कुलेश चौधरी, अमला चौधरी, इजहार खान, शमीम आदि सैकड़ों लोगों ने बताया कि नगर वासियों से बड़ी भूल हो गई है। जिसका बहुत पछतावा हो रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगी। आगामी पालिका चुनाव में ईमानदार होने के साथ साथ सभी का चहेता लोकप्रिय सभी के दुख सुख में शामिल होने वाला विकास पुरुष दिलदार नगर आर्दश नगर पंचायत के चेयरमैन अविनाश जायसवाल को जमानियां के लोग एक एक वोट देंगे। ताकि नगर कस्बा सहित पालिका क्षेत्र में विकास कार्य से जगमगा उठे। लोगों ने बताया कि ईमानदारी की नीति शेर को शिकार नही होने देती। क्यों की जिसके पास ईमानदार रहने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं होता है। अंग्रेजी में एक कहावत है। चलताऊ भाषा में इसका अनुवाद है। मजबूरी का नाम महात्मा गांधी। अविनाश जायसवाल ही ईमानदारी ही सर्वोत्तम नीति का नाम है। दाबिश मंसूरी ने बताया कि ईमानदार व्यक्ति को ईमानदारी का जरूर फल मिलता है। चोरी करना ईमानदारी नहीं है। बेईमानी है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी को भी बेईमान कहलाना भी पसंद नहीं है। यानी ईमानदार कहलाना पसंद है। उसी में एक अविनाश जायसवाल नाम है। दरअसल ईमानदारी करने के लिए कुछ अलग से नहीं करना पड़ता। बस वही करना होता है। जो क़ानून या नियम कहते हैं। जबकि बेईमानी करने के लिए क़ानून के विरुद्ध जाकर बहुत कुछ करना पड़ता है। बेईमानी से कुछ ऐसे लाभ हो सकते हैं जिसके लिए किसी व्यक्ति ने क़ानून के अनुसार कमाई नहीं की है। लेकिन उस कार्य के लिए वह व्यक्ति अपराधी बन के रह जाता है। उसका अपराध देर सवेर सामने आता है। और उसके लिए जनता द्वारा दी जाने वाली उसे सज़ा भी भुगतनी पड़ती है। वही बेईमान व्यक्ति की द्वारा उसकी कमाई ईमानदारी की कमाई नहीं होता है। लेकिन ईमानदार व्यक्ति को उसे सफलता के वास्तविक आनंद की अनुभूति प्राप्त कराता है। इस लिए आर्दश नगर पंचायत दिलदार नगर के चेयरमैन अविनाश जायसवाल को ईमानदारी के लिए जाना और पहचाना जाता है। इस लिए कहां जाए की ईमानदारी ही सर्वोत्तम नीति है क्योंकि इसके लिए कुछ अतिरिक्त करने की आवश्यकता नहीं होती इसमें कोई दो राय नहीं है।