गाजीपुर सहयोगी संस्थान के तत्वाधान में भारतीय संविधान के शिल्पकार, समानता, सद्भाव और सामाजिक न्याय में अतुलनीय योगदान देने वाले भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक योगदान पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन बिंदवालिया दलित बस्ती में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के ऐतिहासिक सामाजिक और न्यायिक विचारों पर प्रकाश डालना था। वक्ताओं ने उनके द्वारा दिए गए योगदान और विचारों को लोगों के बीच साझा किया, विशेष रूप से उनके द्वारा दलित व वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए किए गए संघर्ष की सराहना की।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मोहम्मदाबाद विधानसभा के कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी डॉ. जनक कुशवाहा ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान में दलितों और वंचित वर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित किया, जिससे शोषित वर्ग को समानता और सामाजिक न्याय मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी देश की सरकारें डॉ. अंबेडकर के विचारों से डरती हैं और उनके योगदान को दबाने की कोशिश करती हैं, लेकिन उनका विचार हर वर्ग के दिलों में बैठ चुका है, और इसे नष्ट करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है।
इस अवसर पर बसपा नेता और जिला सचिव राकेश भारती ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का संदेश "शिक्षित बनो और संगठित रहो" आज भी समाज के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें और समाज में समानता स्थापित करने के लिए एकजुट हों। राकेश भारती ने यह भी कहा कि यदि लोग डॉ. अंबेडकर के इन दो मंत्रों को अपने जीवन में अपनाएं तो देश में व्याप्त असमानता को समाप्त किया जा सकता है और इस अलोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंका जा सकता है।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्तियों में रामचंद्र राम, महेंद्र कुशवाहा, अच्छे लाल कुशवाहा, तौफीक खान, देवेंद्र सिंह समेत तमाम लोग शामिल थे। सभी ने डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनके विचारों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके विचारों को जीवन में अपनाने की शपथ ली।
गोष्ठी के अंत में आयोजकों ने यह संदेश दिया कि डॉ. अंबेडकर का योगदान केवल संविधान तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज को एक नई दिशा देने के लिए जो संघर्ष किया, वह आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उनके विचार आज भी लोगों को समानता, न्याय और अधिकारों के लिए जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजन से यह साबित होता है कि डॉ. अंबेडकर का योगदान न केवल भारतीय संविधान तक सीमित है, बल्कि उनके विचार और सिद्धांत भारतीय समाज के हर वर्ग में प्रभावी रूप से लागू हो रहे हैं।
यह कार्यक्रम इस बात का भी संदेश देता है कि समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए डॉ. अंबेडकर के विचारों को समझना और उन्हें लागू करना अत्यंत आवश्यक है।