गाज़ीपुर। उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले में राशन वितरण में भ्रष्टाचार और मिलीभगत का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें जिला पूर्ति अधिकारी और कोटेदारों के बीच की मिलीभगत से राशन वितरण प्रणाली को धक्का पहुंच रहा है। शिकायतों के अनुसार, कोटेदार राशन वितरण के दौरान दो तौल मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कार्ड धारकों को कम राशन दिया जा रहा है, जबकि उनका पूरा राशन उनके हक का है।
यह मामला उस समय और भी गंभीर हो जाता है जब भारत सरकार की नई व्यवस्था के तहत राशन वितरण में बायोमेट्रिक मशीनों का इस्तेमाल किया गया है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राशन कार्ड धारकों को उनका पूरा राशन सही तरीके से मिले। बायोमेट्रिक मशीन से कार्ड धारकों के अंगूठे या उंगलियों के निशान से यह तय होता है कि उन्हें कितना राशन मिलना चाहिए। इसके बाद, राशन की तौल और वितरण भी इस आधार पर किया जाता है, जिससे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की संभावना समाप्त हो जाती है।
हालांकि, गाज़ीपुर जिले के कुछ दबंग कोटेदारों ने इस व्यवस्था का खुलकर उल्लंघन करना शुरू कर दिया है। कोटेदार बायोमेट्रिक मशीन से अंगूठा तो ले रहे हैं, लेकिन राशन की तौल में कमियां छोड़ रहे हैं। नई तौल मशीन से राशन खारिज किया जा रहा है, जबकि पुरानी तौल मशीन से राशन तौलकर कार्ड धारकों को वितरण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोटेदारों को कम राशन वितरित करने के बावजूद उनसे कुछ राशन बच जाए, जिसे बाद में वे अधिकारियों को कमीशन के रूप में दे सकते हैं।
पत्रकारों ने सदर ब्लॉक के अंतर्गत छावनी लाइन कोटेदार की दुकान पर जाकर इस गड़बड़ी की पड़ताल की। उन्होंने पाया कि कोटेदार नई तौल मशीन का इस्तेमाल कर राशन खारिज कर रहे थे, जबकि पुरानी तौल मशीन से कम राशन तौलकर वितरण कर रहे थे। यह पूरा मामला कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद, यह खबर जिला पूर्ति अधिकारी को दी गई, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर सवाल उठना लाजिमी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोटेदारों का कहना है कि बायोमेट्रिक मशीन से राशन वितरण में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब पूरे राशन को सही तरीके से वितरित किया जाएगा तो अधिकारियों को कमीशन नहीं मिल पाएगा। इसलिए वे जानबूझकर राशन की तौल में गड़बड़ी कर रहे हैं और कार्ड धारकों को उनका पूरा राशन नहीं दे रहे हैं।
यह स्थिति इस बात को उजागर करती है कि जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी कमजोर है और भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिला पूर्ति अधिकारी की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है, क्योंकि जब यह जानकारी उनके पास पहले से थी, तो उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों की सांठगांठ ने कोटेदारों को यह गड़बड़ी करने की स्वतंत्रता दी है?
इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि गरीब और जरूरतमंद जनता को उनका पूरा राशन मिल सके और सरकार की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके। जिला पूर्ति अधिकारी को इस भ्रष्टाचार के मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए और मामले की जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि राशन वितरण में पारदर्शिता बनी रहे और जनता को उनकी हक की चीजें मिल सकें।