गाजीपुर। जिले में योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद अफसरों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। घरौनी सर्वे के दौरान लेखपाल द्वारा की जा रही मनमानी से ग्रामीण परेशान हैं। विशेष रूप से सदर तहसील क्षेत्र के गंगा बिशनपुर (छावनी लाइन) गांव में स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। यहां के एक पीड़ित ग्रामीण काशीनाथ कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि लेखपाल जनार्दन राव ने उसकी पुश्तैनी भूमि पर कब्जा करने की धमकी दी और उसे किसी दूसरे व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया।
कृषि भूमि, जिस पर काशीनाथ कुशवाहा ने अपना मकान बनाया था और आसपास के खाली क्षेत्र पर पेड़-पौधे लगाए थे, उसी पर लेखपाल ने विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि लेखपाल ने उनके भूखंड का कुछ हिस्सा दूसरी ग्राम पंचायत, महाराजगंज की एक महिला, चमकूल विश्वकर्मा के नाम दर्ज कर दिया, जबकि यह भूमि गंगा बिशनपुर गांव में है और न तो यहां कोई विवाद था, न ही किसी प्रकार की कानूनी चुनौती।
काशीनाथ कुशवाहा ने बताया कि घरौनी सर्वे के दौरान लेखपाल ने जानबूझकर नाम चढ़ाने और नक्शा बनाने में आना-कानी की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन लेखपाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह अपनी मनमानी करते रहे। काशीनाथ ने बताया कि एसडीएम से शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
यह स्थिति केवल काशीनाथ कुशवाहा तक सीमित नहीं है, बल्कि जिले के अन्य इलाकों में भी घरौनी सर्वे के नाम पर भ्रष्टाचार और धन उगाही की खबरें आ रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि घरौनी सर्वे में अपनी जमीन बचाने के लिए लेखपाल और अन्य राजस्व कर्मचारी अवैध तरीके से पैसों की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों को अपनी पुश्तैनी भूमि को बचाने के लिए तहसील से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक के चक्कर काटने पर मजबूर किया जा रहा है।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'संपत्ति अधिकार' (घरौनी) के तहत किए जा रहे सर्वे में यह घटनाएं योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाती हैं। जब सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात करती है, तो स्थानीय अफसरों द्वारा की जा रही यह मनमानी उसकी नीतियों की धज्जियां उड़ाने के बराबर है।
ग्रामीणों का कहना है कि योगी सरकार को इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि गरीबों और किसानों की जमीनों पर कोई भी अवैध कब्जा न कर सके। अगर यही स्थिति रही, तो योगी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। साथ ही, यह भी बताया गया कि लेखपाल के खिलाफ शिकायत करने के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे यह साबित होता है कि प्रशासनिक स्तर पर कोई गहरी लापरवाही बरती जा रही है।
काशीनाथ कुशवाहा सहित अन्य प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि उनके मामले की निष्पक्ष जांच हो और लेखपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं का भविष्य में पुनरावृत्ति न हो।