जब से अस्तित्व में आया मरदह मंडल उत्तरी ब्राम्हणों और राजपूतों का रहा दबदबा कायम
गाजीपुर।भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्ष बनने के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है।मंडल अध्यक्ष बनने के लिए प्रत्येक मंडल में तीन से चार व पांच आवेदक लाइन में लगे हैं।इसी क्रम में मरदह उत्तरी मंडल से पांच लोगों ने आवेदन करके दावेदारी पेश किया है। जिससे राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।सत्तारूढ़ भाजपा में संगठन के अहम पद को लेकर जद्दोजहद शुरू हो गई है।माना जाएं तो एक ब्लाक में दो मंडल अध्यक्ष बनाएं जाते हैं।जहां जातिगत समीकरण के आधार पर ही अधिकांशत मंडल अध्यक्ष आपसी तालमेल से बनते आ रहे हैं।वर्तमान समय में मंडल अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है।जिसका परिणाम इसी सप्ताह में दिखेगा।मरदह मंडल उत्तरी से वर्तमान मंडल उपाध्यक्ष प्रवीण पटवा,मंडल महामंत्री नीरज सिंह,धनंजय ओझा,शक्ति केंद्र संयोजक संजय विक्रम सिंह व अरविंद सिंह ने उत्तरी मंडल के लिए अध्यक्ष बनने को आवेदन माता तपेश्वरी इण्टर कॉलेज में बैठक के दौरान चुनाव अधिकारी पूर्व जिलाध्यक्ष पिछड़ा मोर्चा मनोज कुमार बिन्द के समक्ष पेश किया है।चुनाव अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को आवेदन करने का अधिकार है।पार्टी नियमावली में दो बार अध्यक्ष रह चुकने वाले को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा।संगठन को धार देने के लिए मंडल अध्यक्षों के पद पर युवा व वरिष्ठता का समावेश करते हुए नियुक्ति की जाएगी।जो दो बार का सक्रिय सदस्य होना चाहिए,उम्र 45 वर्ष से नीचे होना चाहिए तथा मंडल अथवा मोर्चा में पूर्व का पदाधिकारी होना चाहिए।उन्हें ही इस श्रेणी में परिपक्व माना जाएगा।मंडल से पांच दावेदारों का नाम पैनल में भेजा गया है वहां से हरी झंडी मिलते ही मंडल अध्यक्ष नियुक्ति किया जाएगा।इस मौके पर वरिष्ठ नेता जितेन्द्रनाथ पाण्डेय,प्रेमनारायण सिंह,लल्लन सिंह, चन्द्रभान सिंह,अजय सिंह,धनंजय चौबे,कृष्णा गुप्ता,रवि प्रताप सिंह,सहित अन्य लोग मौजूद रहे।जानकारी के अनुसार जब से मरदह मंडल उत्तरी अस्तित्व में आया तब से आज तक अध्यक्ष पद पर कब्जा सामान्य वर्ग से राजपूत व ब्राम्हण समाज का ही रहा।वहीं इस बार देखना है कि क्या यह बादशाहत कायम रहेगी या फिर यह तिलिस्म टूटेंगी।जबकि इस मंडल में हमेशा ओबीसी समाज से पिछड़ा वर्ग ने हर रूप में पार्टी को मजबूती प्रदान किया।इस बात को लेकर गवंई राजनीति तेज हो गई है खेमों में बंटकर पार्टी के लोग अपने-अपने तरीके से अपना-अपना अध्यक्ष बनाने की जुगलबंदी में जुटे हुए हैं।जिससे राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।