गाजीपुर। जिले में रजिस्ट्री विभाग में स्टांप चोरी का खेल तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये की क्षति हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्तियों से सरकारी मूल्य का एक से तीन प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस कमीशन को देने में आनाकानी करता है या किसी कारणवश इसकी भुगतान प्रक्रिया में देरी करता है, तो उसकी रजिस्ट्री में जानबूझ कर आपत्ति लगा दी जाती है। यह न सिर्फ रजिस्ट्री प्रक्रिया को धीमा करता है, बल्कि उस व्यक्ति को अतिरिक्त दबाव में डालता है ताकि वह दलालों के जरिए अपनी रजिस्ट्री के लिए भारी शुल्क चुका सके।

इस खेल में रजिस्ट्री ही नहीं, शपथ पत्र या अन्य दस्तावेजों के लिए लगाए जाने वाले स्टांप शुल्क की भी चोरी हो रही है। अधिकारियों और दलालों के गठजोड़ के कारण सरकारी नियमों को नजरअंदाज किया जाता है और स्टांप की राशि को कम दिखा कर उसे निजी खजाने में डाला जाता है। यह खेल केवल सरकारी विभागों तक सीमित नहीं है, बल्कि निजी क्षेत्र भी इस समस्या से जूझ रहा है।

इतना ही नहीं, भूमि के बैनामे में भी स्टांप शुल्क की चोरी की जाती है। जमीन की वास्तविक स्थिति को बदलकर उसे कृषि भूमि या अन्य प्रकार की भूमि दर्शा दिया जाता है, जिससे स्टांप शुल्क की चोरी की जा सके। उदाहरण स्वरूप, अकृषि भूमि को कृषि भूमि के रूप में दर्शा कर बैनामा किया जाता है, जो स्टांप शुल्क में भारी कटौती कर देता है।

यह स्थिति न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इससे गरीब किसानों और भूमिहीन लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है। अधिकारियों की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इससे प्रदेश की विकास योजनाओं और सार्वजनिक कल्याणकारी परियोजनाओं को गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार और स्टांप चोरी का खेल और भी विकराल रूप ले सकता है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि राजस्व की क्षति को रोका जा सके और सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।