गाज़ीपुर। जन सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI) भारतीय नागरिकों को सरकारी दफ्तरों और संस्थाओं से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। इसका उद्देश्य प्रशासन में पारदर्शिता लाना और जनता के प्रति सरकारी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना है। यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को उनके संबंधित मामलों में पूरी जानकारी और जवाबदेही मिले, जिससे वे अपने अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग कर सकें। हालांकि, इस अधिनियम का सही तरीके से पालन होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है, ताकि इसका उद्देश्य सही मायने में साकार हो सके।

गाज़ीपुर जिले के गुड्डू सिंह यादव द्वारा 13 सितम्बर 2024 को सीएमओ गाज़ीपुर से मांगी गई सूचना नहीं मिलने पर 16 दिसम्बर 2024 को जनसूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत दायर की गई प्रथम अपील इसका एक स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी गाज़ीपुर द्वारा उनकी सूचना की मांग का जवाब नहीं दिया गया, और उनकी 9 सितम्बर के प्रार्थना पत्र का भी कोई जवाब नहीं आया। यह स्थिति न केवल अपत्तिजनक है, बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों की घोर लापरवाही और कर्तव्य के प्रति उदासीनता को भी दर्शाती है। 

जबकि सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए RTI कानून का सही ढंग से पालन होना चाहिए। सरकारी अधिकारियों को यह याद रखना चाहिए कि यह अधिनियम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें सूचनाओं तक पहुँचने का एक सशक्त माध्यम है। यदि सीएमओ गाज़ीपुर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हैं, तो न केवल नागरिकों के अधिकार प्रभावित होते हैं, बल्कि यह सार्वजनिक विश्वास को भी हानि पहुँचाता है।

गुड्डू सिंह यादव की अपील से यह स्पष्ट है कि यदि सीएमओ गाज़ीपुर जानकारी देने में विफल है, तो उन्हें तत्काल सूचना उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। यदि किसी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा RTI के तहत दी जाने वाली जानकारी में लापरवाही बरती जाती है तो उसे उचित प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। वहीं सीएमओ गाज़ीपुर की स्थिति अत्यन्त ही आपत्तिजनक एवं राजकीय कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता का द्योतक है जैसे शब्दों से अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वाराणसी ने नवाजा है।

 जन सूचना अधिकार अधिनियम न केवल एक कानूनी अधिकार है, बल्कि यह लोकतंत्र में नागरिकों की आवाज को मजबूत बनाने का एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है। इसके सही तरीके से पालन के लिए प्रशासनिक सुधार और जिम्मेदारी दोनों की आवश्यकता है।