खासकर ढेलवा गांव के रामाशीष राम, जो कि कोटे की दुकान चलाते हैं, पर आरोप है कि वह राशन वितरण के दौरान घोटाले में लिप्त हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति राशन लेने के लिए दुकान पर जाता है, तो राशन का तौल करते समय वह इलेक्ट्रिक कांटे पर सूत की बोरी रखकर तौलते हैं। इससे राशन का वितरण कम किया जाता है और उपभोक्ताओं को उनका हक नहीं मिलता। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, तो कोटेदार ने उन्हें अपशब्दों का भी इस्तेमाल करते है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब स्थानीय लोग अपनी समस्याओं को लेकर विभाग के पास गुहार लगाते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग को समय-समय पर राशन वितरण की जांच करनी चाहिए, ताकि इस तरह की अनियमितताएं रोकी जा सकें। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने से लोग परेशान हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही जिम्मेदार अधिकारी इस मामले की गंभीरता को समझेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
कोटेदारों की मनमानी के चलते ग्रामीणों का जीवन प्रभावित हो रहा है। कई लोगों ने यह भी कहा कि इस तरह के घोटालों का खुलासा होने पर शासन-प्रशासन को इनकी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों पर लगाम लगाई जा सके। वहीं, अधिकारियों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि लोगों को उनका हक मिल सके और राशन वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता लाई जा सके।
आशा है कि प्रशासन इस मुद्दे पर जल्द ध्यान देगा और कोटेदारों द्वारा किए गए इस घोटाले की जांच कर उचित कार्रवाई करेगा। अगर यह समस्या नहीं सुलझाई जाती है तो लोगों का भरोसा प्रशासन पर और भी कमजोर हो सकता है, जो भविष्य में और समस्याओं का कारण बन सकता है।