सावधानी से पतंगबाजी करने से स्वास्थ्य होता है बेहतर। नेसार खान वारसी
गाजीपुर के जमानियां में शांति एकता कमेटी के सरपरस्त नेसार खान वारसी अपने आरा मशीन पठान टोली मोहल्ला बुद्धिपुर में मकर संक्रांति पर सैकड़ों बच्चों में पतंग बांटी हैं। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। और इसे सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने से दिल और दिमाग संतुलन बना रहता है। और खुशी मिलती है। बताया जाता है। नेसार खान वारसी सभी धर्मों के पर्व पर बढ़ चढ़ भागीदारी निभाते हुए। सभी जरूरत को पूरा करने का प्रयास करते रहते है। जैसे ठंड के मौसम में जरूरत मंद, बेसहारा एवं फुटपाथ पर रहने वालों में कंबल वितरण करने के साथ अच्छे अधिकारियों को सम्मानित करते आ रहे है। मकर संक्रांति पर पतंग बांटने से जुड़ी कुछ खास बातें: मकर संक्रांति पर बच्चों को पतंग बांटना हैं। मकर संक्रांति पर बच्चों को पतंग बांटी और देसी मांझे का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया,उपजिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारी, कोतवाली प्रभारी, तहसीलदार बच्चों को पतंग और मिठाइयां बांटी। बता दें कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का महत्व: पतंग उड़ाना आनंद, विजय, और उन्नति का प्रतीक है। पतंग उड़ाने से दिल को खुशी मिलती है और दिल और दिमाग संतुलन बना रहता है। पतंग उड़ाना भगवान के प्रति कृतज्ञता और आभार व्यक्त करने का तरीका है। सामाजिक महत्व भी है कारण मकर संक्रांति के दिन लोग एक साथ मिलकर पतंग उड़ाते हैं। नेसार खान वारसी ने बताया कि मकर संक्रांति पर सामाजिक एकता बढ़ती है। पतंग उड़ाना बच्चों के लिए एक मजेदार खेल है। इससे उनके बचपन में यादें बनती हैं और बड़ों की बचपन की यादें ताजा होती हैं। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है। खान ने कहा कि पतंग पतंगबाजी करते समय इन बातों का जरूर रखें ध्यान मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और सर्दी के मौसम में सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है। ऐसे में पतंग उड़ाते समय शरीर में धूप लगती है, जिससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और सर्दियों में होने वाली बीमारियां कम होती है। मकर संक्रांति पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। यह त्योहार नए साल का पहला त्योहार भी होता है। ऐसे में लोग इस दिन स्नान और दान भी करते हैं। मकर संक्रांति के दिन अन्न, तिल, गुड़, कपड़े, और पैसे दान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि, इस दिन एक और परंपरा सदियों से चली आ रही है और वह है पतंगबाजी की परंपरा। इस दिन लोग जमकर पतंग उड़ाते हैं। शांति एकता कमेटी के सरपरस्त नेसार खान वारसी ने बताया कि मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। जैसे कृषि, परंपराओं और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू, गजक, रेवड़ी खिचड़ी खाने और बांटने की भी विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की शुरुआत भगवान राम ने शुरू की थी। उन्होंने मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाया था और यह पतंग उड़ते-उड़ते इंद्रलोक चली गई थी। भगवान राम द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को लोग निभाते आए हैं। आज भी लोग बड़े पैमाने पर पतंग उड़ाते हैं। उक्त मौके पर माहिर कमाल अंसारी नक्शानवीश,नेहाल खान, हाजी गुलाम मोहम्मद खान, शकील शाह, जियाउद्दीन, सैयार खान, आदि लोग उपस्थित रहे।