(विशेष रिपोर्ट:डा.अरविंद गांधी -वीएनएफए/विस)
वाराणसी। ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन (गेन) के एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) का दौरा किया। जिससे की बायोफोर्टिफाइड चावल की किस्मों में उन्नति और पोषण सुरक्षा बढ़ाने के दिशा में सयुंक्त रूप से काम किया जा सके। गेन टीम में नाइजीरिया और भारत के विशेषज्ञ शामिल थे,जिनका आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह, डॉ. सुगंधा मुंशी, डॉ. पनीरसेलवम पेरामियन और डॉ. अशिष श्रीवास्तव ने स्वागत किया।
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग ,के वाराणसी कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार दौरे के हिस्से के रूप में, प्रतिनिधिमंडल ने कृषि तकनीकों को समझने के लिए फार्म क्षेत्रों और प्रयोगशालाओं का दौरा किया। स्पीड ब्रीडिंग की टेक्निक जिससे की कम समय में उन्नत प्रजातियों का विकास हो सकेगा, कृषि यंत्रीकरण हब और चावल-गेहूं प्रणाली प्रयोगों का अवलोकन किया। जीआईएस लैब, कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी लैब, प्लांट और सॉइल लैब और ग्रेन क्वालिटी की उन्नत अनुसंधान प्रयोगशालाओं में, सहित टीम ने इरी एजुकेशन के एडटेक स्टूडियो का भी दौरा किया, जो किसानों और कृषि हितधारकों के लिए डिजिटल लर्निंग उपकरणों का प्रदर्शन करता है।
चर्चा का मुख्य बिन्दु बायोफोर्टिफाइड चावल की किस्मों के उत्पादन को बढ़ाना, एग्रोनोमिक बायोफोर्टिफिकेशन के माध्यम से अनाज की गुणवत्ता में सुधार करना और कुपोषण का मुकाबला करने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर फसलों को खाद्य प्रणाली में एकीकृत करना। गेन टीम ने किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले, पोषण-संपन्न चावल के बीजों को किसानों तक पहुचानें के लिए अपने प्रयासों के बारे भी बताया। डॉ. सुगंधा मुंशी ने लैंगिक समावेशी नीतियों, साक्ष्य-आधारित रणनीतियों और संयोजन-चालित समाधानों के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को कृषि में मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यावहारिक कृषि अनुप्रयोगों में प्रयोग करने और किसानों के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के महत्व पे जोर दिय। डॉ. पनीरसेलवम पेरामियन ने चावल में वैश्विक जिंक की कमी के बारे में बताया, जो खराब मृदा जिंक स्तरों के कारण दो अरब लोगों को प्रभावित करती है। उन्होंने फसल उत्पादन और अनाज पोषण में सुधार के लिए डिजिटल मृदा मानचित्रण और बेसल और फोलियर जिंक अनुप्रयोग की संयुक्त दृष्टिकोण की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बायोफोर्टिफाइड चावल की किस्मों की खेती अनाज में जिंक सामग्री को और बढ़ाती है, जिससे बेहतर मानव स्वास्थ्य में योगदान मिलता है।
गेन प्रतिनिधिमंडल में फ़ेडेन लाचांग, दानजुमा इलू, भानु अरोड़ा, तान्या गोयल, देबजानी सामंतारे और अभिश्री शामिल थे, जिन्होंने बायोफोर्टिफिकेशन, पोषक तत्वों से भरपूर फसलों, ज्ञान प्रबंधन और पोषण प्रचार पर केंद्रित विभिन्न कार्यक्रमों का प्रतिनिधित्व किया।
दौरे का समापन गेन प्रतिनिधियों और आइसार्क नेतृत्व के बीच पोषण-संवेदनशील कृषि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने हेतु और स्वस्थ, अधिक स्थायी खाद्य प्रणालियों को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग का विस्तार करने के साथ हुआ।